योगी जी देखिए कि कैसे आप की पुलिस आप की ज़ोरदार छवि पर बट्टा लगा रही है
-दयानंद पांडेय की कलम से-
उत्तर प्रदेश पुलिस की सर्वोत्तम सेवा 112 का कुछ लोग दुरुपयोग भी ख़ूब करते हैं। जैसे कि मुंबई से आए प्रलेक प्रकाशन के प्रमुख जितेंद्र पात्रो ने किया। मेरे साथ किया। आप मित्र जानते ही हैं कि किताबों और किताबों की रायल्टी और प्रकाशन का मसला बीते दो-तीन महीने से सोशल मीडिया पर मैं निरंतर लिख रहा हूं। ब्लॉग , फ़ेसबुक , और वाट्सअप पर यह तीखा विवाद कल गंभीर मोड़ पर तब आ गया जब जितेंद्र पात्रो ने आधी रात बारह बजे 112 नंबर को आन लाइन शिकायत की कि दयानंद पांडेय उन की पत्नी जयश्री को अश्लील संदेश भेज रहे हैं। 112 की पुलिस तुरंत सक्रिय हुई। और जितेंद्र पात्रो के साथ लखनऊ के मेरे डालीबाग़ स्थित घर पहुंच गई। मुझ से से तुरंत हज़रतगंज थाने चलने को कहा। कहा कि वहीं पूछताछ की जाएगी। मैं ने कहा कि वह अश्लील संदेश मुझे दिखाया जाए।
पर न वह संदेश न पुलिस दिखा पाई , न जितेंद्र पात्रो। पुलिस ने कहा कि थाने चल कर आप के फ़ोन की जांच कर पता किया जाएगा। मैं ने कहा या तो उक्त संदेश अभी दिखाया जाए नहीं , पुलिस सुबह आए। पुलिस लेकिन अड़ी रही। फिर मैं ने कहा कि रात बारह-एक बजे इस तरह किसी के घर आना उचित नहीं है। मैं कोई क्रिमिनल नहीं हूं , न हत्यारा हूं। या फिर सुबह आइए। मैं भाग नहीं रहा। लेकिन पुलिस और जितेंद्र पात्रो अड़े रहे। जितेंद्र पात्रो पुलिस से मेरी बातचीत का वीडियो बनाते रहे। जिसे अब वह सब को बांट कर वायरल कर रहे हैं। और जब पुलिस पूरी तरह अड़ गई कि थाने चलना ही है तो मैं ने कहा कि फिर मुझे वकील बुलाने का समय दीजिए। वकील को बुला लेता हूं , फिर आप के साथ चलता हूं। यह कह कर मैं ने घर का दरवाज़ा बंद कर लिया।
दरवाज़ा बंद कर कई वरिष्ठ वकीलों को फ़ोन मिलाया। पर किसी का फ़ोन नहीं उठा। कुछ पत्रकार नेताओं का फ़ोन मिलाया। पर किसी का फ़ोन नहीं उठा। रात एक बजे फोन उठने का कोई मतलब भी नहीं था। सब लोग सो गए थे। फिर मैं ने एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को फ़ोन मिलाया। तीन-चार बार मिलाने पर रात एक -डेढ़ बजे के बीच उक्त प्रशासनिक अधिकारी ने फ़ोन रिसीव कर लिया। मैं ने उन को सारी बात विस्तार से बताई। उक्त वरिष्ठ अधिकारी तुरंत सक्रिय हुए। दस मिनट में ही हज़रतगंज के थानाध्यक्ष श्याम शुक्ला का फ़ोन आया और कहा कि हज़रतगंज से तो कोई पुलिस नहीं गई है। पर उस पुलिस पार्टी को रोके रखिए , मैं खुद आ रहा हूं। दस मिनट में थानाध्यक्ष श्याम शुक्ला आ गए। और जितेंद्र पात्रो से पूछताछ कर उन्हें तुरंत एक पुलिस पार्टी के साथ हज़रतगंज थाने भेज दिया। फर्स्ट फ्लोर पर मेरे घर आए। 112 नंबर की एक महिला सदस्य और डालीबाग चौकी इंचार्ज आदिल के साथ। जितेंद्र पात्रो और 112 नंबर की पुलिस टीम के कृत्य पर खेद व्यक्त किया और कहा कि जितेंद्र पात्रो को 107 / 116 / 151 आदि सुसंगत धाराओं के साथ बुक कर कल जेल भेज दूंगा। चाय पी और फिर चले गए।
गौरतलब है कि उपन्यास , कहानी , संस्मरण , लेख आदि की मेरी कोई 70 से अधिक किताबें प्रकाशित हैं। दो किताबें बीते साल प्रलेक प्रकाशन के जितेंद्र पात्रो ने भी छापी हैं। फिर मैं ने प्रलेक प्रकाशन के साथ कथा-लखनऊ और कथा-गोरखपुर की योजना बनाई। लेकिन जितेंद्र पात्रो के प्रलेक प्रकाशन ने इन कथा-संकलनों में शामिल कहानीकारों को किताब की दो प्रति और मानदेय देने से इंकार कर दिया तो मैं ने कथा-लखनऊ और कथा-गोरखपुर की योजना प्रलेक प्रकाशन से अलग कर ली और अपने ब्लॉग सरोकारनामा पर कथा-लखनऊ के 15 खंड और कथा-गोरखपुर के 8 खंड प्रकाशित कर दिए। साथ ही दिल्ली के एक बड़े प्रकाशक से प्रिंट संस्करण का अनुबंध कर लिया। गौरतलब है कि कथा-लखनऊ में कुल 178 कहानियां और कथा-गोरखपुर में कुल 76 कहानियां संकलित हैं। इस ऐतिहासिक और अविस्मरणीय काम को जितेंद्र पात्रो की क्षुद्र बुद्धि समझ नहीं पाई। मुर्गी मार कर अंडा खाने के अभ्यस्त जितेंद्र पात्रो की चलती तो कथा-लखनऊ और कथा-गोरखपुर की योजना का गर्भपात हो गया होता। पर सुखकर यह है कि अब वह अपने शानदार रुप में अपने पूरे वैभव के साथ उपस्थित है। लेकिन 10-20 किताबों का संस्करण छापने वाले , अपनी पत्नी को हथियार बना कर क्षुद्रता करने वाले जितेंद्र पात्रो को इस का एहसास भी नहीं है।
ज़िक्र ज़रुरी है कि जितेंद्र पात्रो मुंबई में रहते हैं और प्रलेक प्रकाशन का दफ्तर भी वहीं है। पर जितेंद्र पात्रो अफसरों की दलाली करने के लिए हर महीने लखनऊ आते रहते हैं। विभिन्न अफसरों और उन की पत्नियों की पुस्तकें प्रकाशित करने के नाम पर लखनऊ के सत्ता गलियारों में देखे जाते हैं। बहुत से अधेड़ और वृद्ध लेखकों से लाखो रुपए किताब छापने के नाम पर दबा लिए हैं। संबंधित लेखकों का न फोन उठाते हैं , न किताब छापते हैं , न कोई जवाब देते हैं। प्रलेक प्रकाशन की यह और ऐसी अन्य धांधली का पर्दाफाश मैं लगातार अपने ब्लॉग सरोकारनामा , फेसबुक और वाट्सअप पर कर रहा हूं।
बीते 7 अप्रैल , 2022 से ले कर अब तक दर्जन भर लेख लिख कर मैं ने प्रलेक प्रकाशन के जितेंद्र पात्रो पर आरोप लगाया है कि वह प्रकाशन की आड़ में नंबर दो का धंधा कर रहे हैं। मनी लांड्रिंग का भी शक़ जताते हुए मैं ने कल के लेख में प्रलेक प्रकाशन और जितेंद्र पात्रो के पैन नंबर और विभिन्न बैंक खातों का विवरण परोसते हुए सवाल उठाया था कि कोरोना काल के डेढ़ साल में ही कैसे प्रलेक प्रकाशन ने चार सौ किताबें प्रकाशित कर दीं ? जी एस टी नंबर , इनकम टैक्स , टर्नओवर आदि के विवरण पूछ लिए लेख में। तो प्रलेक प्रकाशन के जितेंद्र पात्रो ने बौखला कर 112 पर पत्नी को अश्लील संदेश भेजने की झूठी शिकायत दर्ज कर मुझ को फर्जी ढंग से फंसाने की साज़िश रच दी। सोचिए कि कितना गिरा हुआ और निकृष्ट आदमी है यह जितेंद्र पात्रो कि अपनी छुद्रता और स्वार्थ में अपनी पत्नी को भी हथियार बना लेता है। चार महीने पहले तक यह व्यक्ति मुझे पिता तुल्य बताता नहीं थकता था तो इस की पत्नी जयश्री भी मेरी बेटी हुई। पर यह नीच आदमी कल झूठा आरोप लगा कर बता रहा था कि मैं ने इस की पत्नी को अश्लील संदेश भेजा है। इतना गिरा हुआ , नीच और अधम आदमी पहली बार मेरी ज़िंदगी में मिला है।
अगर उक्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने आधी रात को मेरी मदद न की होती तो सोचिए कि भला जितेंद्र पात्रो ने अपने काले धन के बल पर क्या गुल खिलाया होता। अब तो अपने इस कृत्य पर जितेंद्र पात्रो ने थानाध्यक्ष से लिखित माफ़ी मांग ली है। और लिखा है कि इस की पुनरावृत्ति नहीं करुंगा। मैं ने थानाध्यक्ष श्याम शुक्ल से इस बाबत जब पूछा कि आप तो इसे जेल भेजने की बात रात कह रहे थे। पर यह तो आप ने जितेंद्र पात्रो के माफ़ीनामे पर ही उसे छोड़ दिया तो वह कहने लगे रात भर थाने में बैठा रहा वह। फिर उन्हों ने चौकी इंचार्ज आदिल पर बात टाल दी। चौकी इंचार्ज आदिल से पूछा तो वह बोले , जैसा एस ओ साहब ने कहा , वैसे ही किया। पूछा कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का निर्देश आप लोग टाल गए तो बाक़ी का क्या करते होंगे भला ! दोनों चुप लगा गए।
अभी भी जिन मित्रों को लगता है कि जितेंद्र पात्रो और उन की पत्नी जयश्री पात्रो का पक्ष जानना चाहिए तो इन दोनों का नंबर यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। इन का भी पक्ष जानिए और इन से भी सवाल पूछिए कि उस मेसेज में क्या था ? मेसेज मिलने का प्रमाण क्या है। सप्रमाण , तर्क और तथ्य के साथ अपनी बात रखें।
जितेंद्र पात्रो -9833402902, 7021263557 ,
7977237995
सर्वोत्तम सेवा 112 के प्रमुख ए के सिंह से भी पूछिए कि 112 नंबर के लोग कब से बिकाऊ हो गए और कि आधी रात किसी शरीफ़ सीनियर सिटीजन के घर जा कर अपमानित करने का अधिकार किस क़ानून ने दे दिया है उन्हें। ए के सिंह का नंबर है :
ए के सिंह , ए डी जी , 112 नंबर-9454400133
प्रेमचंद ने लिखा है कि न्याय भी लक्ष्मी की दासी है। अगर आज भी प्रेमचंद होते तो शायद लिखते कि न्याय और पुलिस दोनों ही लक्ष्मी की दासी है। जिसे जितेंद्र पात्रो जैसे लोग जब चाहे , जैसे चाहें अपना पलड़ा भारी कर लेते हैं। और कि जिन लोगों को लगता है कि हज़रतगंज थाने की पुलिस ने जितेंद्र पात्रो के अपराध को मुकदमा न दर्ज कर छुपा लिया है। सिर्फ़ जितेंद्र पात्रो के माफ़ीनामे को ही पर्याप्त मान लिया है , तो उन से भी सवाल पूछना चाहिए। पूछना चाहिए कि योगी राज में , बुलडोजर की चमक के आगे हज़रतगंज पुलिस की चमक और धमक बहुत फीकी पड़ गई है। हज़रतगंज पुलिस से भी सवाल पूछा जाना चाहिए। तो उन की सुविधा के लिए भी नंबर प्रस्तुत कर रहा हूं इस सवाल के साथ क्या हज़रतगंज पुलिस और 112 नंबर की सुविधा देने वाली पुलिस किसी लंपट के आरोप मात्र पर किसी भी सीनियर सिटीजन के साथ , किसी भी नैतिक और प्रतिष्ठित व्यक्ति के साथ आधी रात को उस के घर आ कर अभद्रता कर सकती है ? योगी जी देखिए कि कैसे आप की पुलिस आप की ज़ोरदार छवि को बट्टा लगा रही है। जागिए कि अपराधियों के प्रति आप की पुलिस सख़्त और सबल बने। जितेंद्र पात्रो जैसों के आगे बिछे नहीं। लाल कालीन न सजाए। लीजिए थानाध्यक्ष , हज़रतगंज और चौकी इंचार्ज डालीबाग , लखनऊ के नंबर। और इन से भी इन का पक्ष जानिए। पूछिए इन से सवाल।
श्याम शुक्ला , थानाध्यक्ष , हज़रतगंज , लखनऊ
7007649991
आदिल , चौकी इंचार्ज , डालीबाग , लखनऊ-
8127235555
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है तथा उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों पर आधारित है)