Positive India:Rajkamal Goswami:
हाँ हमारा भगवान रोता भी है।
हमारे भगवान तो करुणानिधान हैं , करुणा के सागर भला अपने भक्तों के दुख से क्यों नहीं दुखी होंगे ? वे सुदामा की फटी बिवाइयों को देख कर रोते हैं ।
और आँसू सिर्फ़ दुख के ही नहीं होते प्रेमाश्रु भी होते हैं । वनगमन में कोमलांगी सीता की आतुरता देख कर भी उनकी आँखें भर आती हैं । गीधराज जटायु के अंतिम संस्कार करते समय भी उनकी आँखों में जल भर आता है ।
रुद्राक्ष तो भगवान शिव के आँसुओं के ही प्रतीक माने जाते हैं । यदि हमारे भगवान में दया करुणा की कोई भावना ही न हो तो भक्ति और आराधना का सारा उद्देश्य ही विफल हो जाये ।
भगवान कोई मुग़ले आज़म जैसा भावशून्य तानाशाह नहीं है कि जिसके डर के आगे थर थर काँपा जाये । वह प्रेम का सागर है और अपनी सृष्टि से अथाह प्रेम करता है ।
जो प्रेम करते हैं वे रोते भी हैं ।
पानी परात को हाथ छुओ नहिं नैनन के जल सों पग धोये ।
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)
#कैसा_है_तुम्हारा_गॉड_जो_पत्नी_के_मर_जाने_रोता_है_दकेरलस्टोरी