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बस्तर में खुलेगा विश्व का पहला वैश्विक प्रकृति प्रर्यावरण विश्वविद्यालय

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी सोनीपत मे "क्लाइमेट चेंज" विषय पर केन्द्रित वर्ल्ड पार्लियामेंट कॉन्फ्रेंस।

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WACPA Conference at O.P.Jindal University
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Positive India:WCPA – “वर्ल्ड कॉन्स्टिट्यूशन एंड पार्लियामेंट एसोसिएशन” तथा ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी* के संयुक्त तत्वावधान में देश में अधिकतम हरित क्षेत्र वाले ओपी जिंदल ग्लोबल विश्व विद्यालय के परिसर तथा भ्रम सभागार में आयोजित वार्षिक महाअधिवेशन में विश्व भर के पर्यावरण विशेषज्ञों ने भागीदारी की. 10- 11 दिसंबर आयोजित दो- दिवसीय इस महाअधिवेशन का विषय ” क्लाइमेट चेंज एंड द इमर्जिंग वर्ल्ड पार्लियामेंट ” रखा गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय किसान महासंघ आईफा के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ राजाराम त्रिपाठी थे और अध्यक्षता विश्व प्रसिद्ध पर्यावरण संविधान विशेषज्ञ , वाक्फा के चेयरमैन डॉ ग्लेन मार्टिन ने की। ओपी जिंदल विश्वविद्यालय की कुलपति सी वाई एस आर मूर्ति, स्वामी अग्निवेश जी , केबिनेट मंत्री कालूराम गुर्जर जी अमित पाल , संयोजक राकेश छोकर तथा वरिष्ठ लेखिका कुसुमलता सिंह आदि विशिष्ट अतिथियों ने मुख्य विषय अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।

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मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ त्रिपाठी ने कहा कि आज न चाहते हुए भी किसान जहरीले बीज, जहरीली खाद, जहरीली दवाओं की जहरीली खेती करने को मजबूर हैं, अनाज,फल, सब्जियां, दूध, मांस मछली सब कुछ, यहां तक कि हवा भी विषाक्त हो चली है। वक्त की पुकार है कि हम अब प्राथमिकता के आधार पर अपने पर्यावरण को बचाने और सुधारने के लिए युद्धस्तर पर हर संभव सामूहिक प्रयास तत्काल शुरू करें। इस कार्य में हमारे जनजातीय समुदायों की प्रकृति के साथ सदियों से सिद्ध सहजीवन के सूत्र हमें राह दिखा सकते हैं।
दरअसल इस नीले ग्रह पर अपने आप को सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझने वाली हमारी मानव प्रजाति अपनी अंतहीन लालच और अदूरदर्शिता के चलते आज इस खूबसूरत ग्रह को सुनिश्चित महाविनाश के कगार पर ले आई है। यहां से सुरक्षित वापसी का सफर बेहद कठिन है।

डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि आज समय की पुकार है कि हम पर्यावरण रक्षा तथा प्रकृति के साथ बिना उसे नष्ट किए जीने के सलीके सीखें। इस विषय पर सतत शोध तथा इस ज्ञान को किस ग्रह पर रहने वाले हर मनुष्य तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। इस विषय के व्यापक महत्व को देखते हुए , इस विषय पर केंद्रित एक पृथक विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना चाहिए, तथा यदि वाक्फा चाहे तो इस विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु आवश्यक जमीन बस्तर जिले में प्रदान करने डॉक्टर त्रिपाठी ने पेशकश की, जिसका पार्लियामेंट के सभी सदस्यों ने तालियों से स्वागत किया, तथा ध्वनि मत से स्वीकृति भी प्रदान की।

ओ . पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के भव्य सभागार में आयोजित इस विश्व स्तरीय कॉन्फ्रेंस में देश विदेश के पर्यावरण विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों, समाजसेवियों, साहित्यकारों तथा अन्य विद्वानो ने शिरकत की.

मुख्यतः वर्ल्ड कॉन्स्टिट्यूशन एंड पार्लियामेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर ग्लेन मार्टिन, पूर्व कैबिनेट मंत्री, विधानसभा के पूर्व मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर, डॉक्टर यू जैनिया अलमेंड, स्वामी अग्निवेश, अंतरराष्ट्रीय सदस्य इ. पी. मैनन, पी. नरसिम्हा मूर्थी, अमित पॉल, डॉ विजया मूर्थीं, स्वामी संतोष आनंद, स्वामी पवन भारती, भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक एवं हर्बल साइंटिस्ट डॉ राजाराम त्रिपाठी, प्रमुख लेखिका डॉक्टर कुसुम लता सिंह, पत्रकार एवं समाजसेवी वर्ल्ड कॉन्स्टिट्यूशन एवं पार्लियामेंट एसोसिएशन के दिल्ली चैप्टर के प्रेसिडेंट राकेश छोकर, डॉक्टर कामराज सिंधु, जापान से डॉक्टर रमा शर्मा, डॉ जेपी दलाल, पर्यावरणविद डॉक्टर संजीव कुमारी, ग्लैमरस सुरभि भाटी, शांतिदूत डॉक्टर कंचन वीर, अनीता मसराम, मनीषा दहिया, आर्टिस्ट उदित नारायण बैंसला, हनुमान सैनी, प्रवीण भारतीय, सुनीता खोकर, प्रसिद्ध चिंतक मोहनलाल वर्मा , सतीश शास्त्री, सिंगर चंद्रकला सिंह , रजनी मोरे, मेजर वी आर जाधव, दीपक वालिया आदि सहित अफ्रीका, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत सहित अन्य देशों से भी पर्यावरण विशेषज्ञ एवं विद्वानों ने पर्यावरण पर गंभीर चिंतन मंथन किया.

कॉन्फ्रेंस के अंत मे वैश्विक प्रतिभाओ को विभिन्न अवार्ड से विभूषित किया गया.

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