www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

वो कौन लोग है जो भारत माता की जय कहने को भी गाली समझते हैं ?

-दयानंद पांडेय की कलम से-

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India:Dayanand Pandey:
बचपन में अम्मा भोजपुरी में एक किस्सा सुनाती थी। हो सकता है , आप की अम्मा , दादी , बुआ , मौसी ने भी आप की भाषा में सुनाई हो। तो भी सुनाता हूं आप को फिर से। संक्षेप में। हिंदी में। एक आदमी अपनी मां से बचपन से ही बहुत प्यार करता था। शादी हुई तो वह पत्नी की तरफ भी झुका। लेकिन मां को छोड़ नहीं पाता था। मां का पलड़ा भारी ही रहता था। पत्नी कुढ़-कुढ़ जाती। एक बार वह बहुत नाराज हुई। वह आदमी पत्नी को मना-मना कर थक गया।

अंतत: पत्नी पिघली पर एक शर्त रखी कि अपनी मां का कलेजा लाओ तभी बात बनेगी। आदमी पत्नी की बातों में आ गया। एक रात घर से कहीं दूर ले जा कर मां की हत्या कर उस का कलेजा निकाल कर पत्नी को पेश करने के लिए चला। अंधेरी रात थी। रास्ते में उसे कहीं ठोकर लगी तो मां का कलेजा बोल पड़ा , बेटा कहीं चोट तो नहीं लगी ? अब बेटा परेशान ! कि हाय यह मैं ने क्या किया। मरी हुई मां के कलेजे को भी मुझे चोट लग जाने की फ़िक्र है। वह पत्नी से और भड़क गया।

तो जो लोग भारत माता की जय कहने को भी गाली समझते हैं , वंदे मातरम से भी चिढ़ते हैं , वह देश को नहीं जलाएंगे तो किसे जलाएंगे भला ? लेकिन भारत माता तो माता , इन मूर्खों और कमीनों को भी अपना पुत्र समझती है। इन को कहीं चोट न लग जाए इस की परवाह करती है। चोट लगती भी है तो बोल पड़ती है , बेटा कहीं चोट तो नहीं लगी ? पर इन दंगाइयों और आतंकियों को मां की फ़िक्र कहां है भला ? वह तो इसी गुमान में जीते हैं कि उन की कोई मां नहीं है और जाने किस गुमान में , अपनी बेहूदगी में कहते फिरते हैं कि किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है। इन के बाप का होता तो हिंदुस्तान का दर्द समझते। बाप का नहीं है , इस लिए हिंदुस्तान को जलाने का दर्द नहीं समझते। मनुष्यता तार-तार करते फिरते हैं।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

Leave A Reply

Your email address will not be published.