Positive India: Dayanand Pandey:
भारतीय जीवन में ज्योतिष कहीं बहुत गहरे धंस कर बसी हुई है। और भारतीय राजनीति में तो यह ज्योतिष दुधारू गाय है। सब से ज़्यादा यह ज्योतिष अगर किसी भारतीय राजनीतिक पार्टी में अंधविश्वास की हद तक बसी हुई है तो वह है कांग्रेस। कांग्रेस में इंदिरा गांधी से लगायत राजीव गांधी , नरसिंहा राव , प्रणव मुखर्जी ,अर्जुन सिंह , वीर बहादुर सिंह आदि निन्यानबे प्रतिशत राजनीतिज्ञ छुप-छुपा कर ही सही ज्योतिषियों के पास जाते रहे हैं। ज्योतिष ही नहीं , तंत्र-मंत्र में भी इन सब की घोर आस्था रही है। यहां तक की कुछ मुस्लिम राजनीतिज्ञ भी इन सब टोटकों में धंसे मिलते हैं । इन नेताओं को वास्तव में ज्योतिष और तंत्र-मंत्र आदि भी आस्था से ज़्यादा सत्ता साधने का एक औज़ार भर है और कुछ नहीं ।
एक से एक प्रचंड सेक्यूलर ज्योतिष के चरणों में साष्टांग दंडवत रहते हैं । समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव तो प्रधान मंत्री बनने के लिए कामख्या तक बलि आदि के अनुष्ठान नियमित करवाते रहे हैं। जब कि शिवपाल सिंह यादव मुख्य मंत्री बनने के लिए। अखिलेश यादव अभी भी करवा रहे हैं । लालू यादव भी अनुष्ठान करवाते रहते हैं । मिर्जापुर के विंध्यवासिनी देवी के मंदिर में उन का तंत्र , मंत्र अनुष्ठान नियमित होते रहते हैं । अमर सिंह भी यहां नियमित पहुंचते रहे थे । यहां तक कि कई वामपंथी नेता भी यह सब छुप-छुपा कर ही सही ज्योतिष और तंत्र-मंत्र खूब करते-करवाते हैं । बहुत सारे पत्रकार भी ज्योतिष और तंत्र में निरंतर शरणागत रहते हैं । याद कीजिए कि चार साल पहले स्मृति इरानी जो एक ज्योतिषी से मिल आईं तो बड़ा पहाड़ टूट पड़ा था। सत्ता की द्रौपदी जो न करा दे , कम है। भारतीय जनता पार्टी का तो यह एजेंडा ही है। लोग भूल गए हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मानव संसाधन मत्री रहे मुरली मनोहर जोशी तो बाकायदा ज्योतिष को विज्ञान की मान्यता देते हुए पाठ्क्रम में शामिल करने की बात कर गए थे।
असल में भारतीय जीवन में शराब और ज्योतिष एक मानक हैं। जैसे एक शराबी को पीने का कोई न कोई बहाना चाहिए । खुशी में भी उसे पीना है और दुःख में गम गलत करने के लिए भी पीना है। ठीक वैसे ही अति सफल व्यक्ति और सफल होने के लिए ज्योतिषी के पास जाता है और असफल व्यक्ति भी अपनी असफलता से छुट्टी पाने के लिए ज्योतिषी के पास दौड़ लगाता है।
यह ज्योतिष और ज्योतिषी भारतीय समाज से जाने वाले नहीं हैं। मैं ने बहुत से ज्योतिषियों को देखा है जिन के यहां किसी डाक्टर से भी ज्यादा लोग रोज जमा होते हैं , बिलकुल किसी बीमार की तरह। और यह ज्योतिषी भी उन से वैसे ही पेश आते हैं , तरकीब और उपाय बताते हैं गोया वह कोई डाक्टर हों। इस में जानकार लोग भी बहुत हैं और ठग लोग भी खूब हैं । और अख़बार देखिए, पत्रिका देखिए चाहे जिस भी भाषा के हों हर कहीं राशिफल छपता ही है। इतना ही नहीं लोग खूब चाव से इसे पढ़ते भी जरुर हैं । और यह चैनल ? इन चैनलों पर एक से एक मूर्ख और ठग बाबा चीखते-चिल्लाते क्या मुफ़्त में मिलते हैं? तो जान लीजिए कि भारतीय जीवन में ज्योतिष एक जीवन है , एक व्यवसाय भी। और हां, ज्योतिष के ख़िलाफ़ बोलना, हल्ला मचाना भी एक किस्म की दुकानदारी ही है , कुछ और नहीं।
साभार-दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)