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क्या राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस को कोई सियासी फायदा पहुंचा पाएगी?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
भारत जोड़ो यात्रा के नाम पर कांग्रेस का सियासी मेहनत कोई मामूली नहीं है। वो तो कहिए कि कांग्रेस का युग समाप्त हो चुका है, अन्यथा कांग्रेस का ये हुजूम जिस राज्य से होकर निकलती, उस राज्य की सारी असेंबली और संसदीय सीटें क्लीन स्वीप करती निकलती। दुर्भाग्य देखिए कि कहा जाता है नॉर्थ से भागने के बाद साउथ कांग्रेश के लिए बहुत कंफर्टेबल जोन है। जिस तेलंगाना से बड़ी बेहतरीन जनयात्रा के साथ कांग्रेश निकली है, वहां का अपने खाते की भी एक असेंबली सीट उपचुनाव में खो देती है।

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सियासी बातें छोड़ दी जाए तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस ये भारत जोड़ो यात्रा अब तक की अपनी तमाम कार्यक्रमों से अधिक निष्ठा से अवश्य कर रही हैं। लेकिन परिणाम ना आने का अर्थ साधारण है। कांग्रेस ने अपने तमाम ऐतिहासिक फैसलों में भारत को तोड़ने का कार्य न किया होता तो आज भारत जोड़ो यात्रा अवश्य परिणाम दिखाती। किंतु आज की भारत जोड़ो यात्रा तो कांग्रेस के आंतरिक प्रायश्चित यात्रा भर बन कर रह जाती है। भौगोलिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से भारत को तोड़ने के जितने पाप कांग्रेस के खाते में हैं, उसके विरुद्ध कांग्रेस को लंबे समय तक प्रायश्चित करना पड़ेगा। भारत जोड़ो यात्रा तो बड़ा मामूली मूल्य है।

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राहुल गांधी आज भारत के तमाम एजेंसियों समेत मीडिया और अपने विरोधियों को अपनी विफलता के लिए लगातार कोसते रहते हैं। इसके बदले में अपने पूर्वजों द्वारा किए गए पापों को समझ कर उसका प्रतिगमन करना आरंभ कर देते तो कहीं ज्यादा और शीघ्र फलदाई होता। ऐसा कहा जा सकता है कि राहुल गांधी के सिर पर उनके पूर्वजों ने सात दशकों के पापों का बोझ लाद दिया है। जिसको ढ़ोते-ढ़ोते शायद श्री गांधी की बची खुची उम्र में भी समाप्त हो जाए और भारत के लोकतांत्रिक राजनीति के इतिहास में राहुल गांधी एक सबसे अधिक सहानुभूति वाले किरदार बनकर रह जाएं।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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