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क्या गोडसे के महिमा मंडन से भाजपा को चुनाव में लाभ होगा ?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
यक्ष प्रश्न — क्या गोडसे(Godse) के महिमा मंडन से भाजपा(BJP) को चुनाव में लाभ होगा ?
उत्तर— एक अनावश्यक मुद्दा जो भाजपा की लुटिया डुबो सकता है । बिना मुद्दे के पक्ष और विपक्ष में गये हुए भी यह स्पष्ट दिखाई देता है कि भाजपा नेतृत्व और कार्यकर्ता इस मामले में एकमत नहीं हैं । जनमानस कभी पाखंड पसंद नहीं करता । यदि आप गोडसे के पक्ष में हैं तो पार्टी का इस पर मत स्पष्ट होना चाहिए । साध्वी प्रज्ञा सांसद हैं और गोडसे की मुखर पक्षधर हैं । दूसरी ओर प्रधानमंत्री हैं जो साध्वी को माफ़ न करने की घोषणा कर चुके हैं ।

कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग पहले दिन से गोडसे समर्थन और गाँधी को विभाजन के लिये उत्तरदायी ठहराते हुए उनकी घोर निंदा से शुरू होती है । आज जब पार्टी सत्ता में हैं तो वे अपने महानायक गोडसे को निष्कलुष ठहराते हुए उसे उस इतिहास पुरुष जैसी मान्यता दिलवाने को प्रयासरत हैं जिसने अर्जुन की भाँति भीष्म को रणक्षेत्र में छलपूर्वक मार गिराया था । जब अर्जुन का महिमामंडन हो सकता है तो गोडसे का क्यों नहीं ?

सोशल मीडिया पर गोडसे के समर्थक प्राणपण से येन केन प्रकारेण उसे देश बचा गये नाथूराम जैसी उपलब्धि का नायक बनाने की चेष्टा कर रहे हैं । बड़ बड़े मनीषी इस जीर्णोद्धार में लगे हुए हैं और अब तो संत समाज से भी लोग सामने आ गये हैं । मामला अदालत तक भी जा पहुँचा है ।

मेरा अपना तथ्यावलोकन तो यही कहता है कि गोडसे समर्थक अदालत में हार जायेंगे । जस्टिस मार्कण्डेय काटजू को सुप्रीम कोर्ट एक बार तलब कर के चेतावनी दे चुका है । फिर एक सिद्ध दोष अपराधी का महिमा मंडन किसी भी दशा में उचित नहीं ठहराया जा सकता । हर हत्या के पीछे कुछ न कुछ कारण तो होता ही है जिनके सहारे हत्यारा अपने मन को हत्या के लिये राज़ी कर पाता है । यदि एक बार ऐसी अनुमति दी जाती है तो हर राजनीतिक हत्यारे का महिमा मंडन शुरू होते देर नहीं लगेगी ।

गोडसे को राजसिंहासन पर बिठा देने से भी भाजपा को क्या लाभ होगा ? भाजपा मध्य प्रदेश राजस्थान में चुनाव गँवा चुकी है और गुजरात में हारते हारते बची है । गोडसे चुनाव में मुद्दा बने तो तमाम लोकप्रिय कदमों और मुफ्त की सौगातों के बावजूद भाजपा का सफाया देर सवेर तय हो जायेगा । पार्टी के शुभचिंतकों को इस पड़ी हुई लकड़ी से खिलवाड़ बंद करना चाहिये और गोडसे समर्थकों से स्पष्ट दूरी बनानी चाहिए । गाँधी का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है । गाँधी और उनके वंशजों को उनकी देश सेवा का न कोई प्रतिफल चाहिये था और न मिला । उनके एक पौत्र कुछ वर्ष पूर्व इसी भारत के एक वृद्धाश्रम में मरे पाये गये जिस भारत का राष्ट्रपिता कहे जाने पर उन्हे दिन रात लताड़ा जाता है ।

सब को सन्मति दे भगवान
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साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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