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भारत में बैठकर बेंजामिन नेतन्याहू से प्रश्न?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
भारत में बैठकर बेंजामिन नेतन्याहू से प्रश्न? चीनी मीडिया को हो क्या गया है? उसे यह गलतफहमी क्यों हो रहा है कि नेतन्याहू भारत का प्रधानमंत्री हैं? प्रश्न तो ऐसे कर रहा जैसे पूरी सरकार हिला देने वाला है। इजराइल का विपक्ष सरकार के साथ खड़ा होकर एकमत से अपने राष्ट्र की लड़ाई लड़ रहा है। इजरायल की जनता लड़ रही है। संकट के इस काल में इजराइल में कोई राजनीतिक विपक्ष नहीं है। हमारा चीनी मीडिया इस तस्वीर को देख नहीं पा रहा। एकदम बौखला गया है। पूरी कोशिश में लग गया है कि इजराइल में जो विपक्ष का स्थान खाली हो गया है, उसको पूरा कर दें।

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प्रश्न है कि चीनी मीडिया इसराइल के विपक्ष की भूमिका क्यों निभाना चाह रहा? क्यों रियूटर्स की एक डिजाइनर रिपोर्ट के आधार पर यह बताने का प्रयास कर रहा है कि इजरायल की जनता बेंजामिन सरकार से प्रश्न कर रही है। ठीक जैसे पुलवामा के बाद चीनी पत्रकारों ने सरकार और सेना के खिलाफ देश की जनता को विद्रोह के लिए उकसाने का पूरा प्रयास किया। लेकिन क्या हमारे चीनी मीडिया के प्रयास से भारत से साढ़े चार हजार किलोमीटर दूर इजरायल की जनता अपनी सरकार के खिलाफ विद्रोह कर देगी? आखिर इन चीनी प्यादो में इतना आत्मविश्वास आता कहां से है?

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सीधा सा जवाब है। इन लोगों के जो यूट्यूब सब्सक्राइबर हैं, वह कोई दर्शक वर्ग नहीं, बल्कि अपने आप में एक संगठन है। वही उनकी ताकत है। उसी संगठन के लिए ये लोग काम करते हैं। जहर तैयार करते हैं और उड़ेल देते हैं। इनका दर्शक संगठन इनके तैयार किये विष का स्वादी हो चुका है। हर घटना पर इनके वीडियो आते हैं और उनके दर्शक बड़ी प्रतीक्षा से उस वीडियो के विष को ग्रहण करते हैं और देशभर में विष का एक वातावरण तैयार करते हैं। अब यह विष अपने ही देश के चुनी हुई सरकार के खिलाफ विद्रोह जगाने वाले वीडियो से हो, चाहे इसराइल राजनीति के लिए विपक्ष की भूमिका तैयार करने से; लक्ष्य एक है, बहुमत भारत के खिलाफ जहरीला से जहरीला एक आम वर्ग तैयार रखना।

एएमयू तो क्या विश्व भर के बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में एक वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में आज मुसलमान ने फिलिस्तीनियों के समर्थन में मार्च निकाला। इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले ज्यूस बच्चे यह मार्च देखकर रोने लगे। यूनिवर्सिटी प्रशासन से रोकर पूछ रहे हैं कि ये मार्च करने वाले लोग कैसे हम ज्यूस लोगों की हत्या का समर्थन कर रहे हैं। इसराइल पर फिलिस्तीन का आतंकी हमला, 21वीं सदी का सबसे बड़ा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण वैश्विक स्तर पर कर रहा है। यह बात ठीक है कि विश्व भर के मुसलमान सबसे ज्यादा ध्रुवीकृत हो रहे हैं, लेकिन जो बच गए चाहे वे ज्यूस हों या हिंदू, कितने भी तटस्थ हों, आखिरकार अध्रुवीकृत हुए कैसे रह सकते हैं? और इसलिए वह वक्त अवश्य आएगा जब हमास के जिहादी अपने रहम की भीख मांगेंगे, लेकिन लोग उन्हें ज्यूस के अजन्मे बच्चे का सर काटता हुआ तस्वीर सामने रख देंगे।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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