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उनको डर क्यों लग रहा है ?

-सतीश चन्द्र मिश्रा की कलम से-

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
उनको डर इसीलिए लग रहा है।
कृपया ध्यान से पूरा पढ़िए।
पहले इस एक सच से परिचित हो जाइए…
इस देश में अंग्रेज भी बाहर से ही आये, उन्होंने देश को जमकर लूटा भी। उन्होंने लगभग ढाई सौ वर्ष देश पर राज भी किया। उस दौरान उन्होंने हजारों चर्चों को भी बनवाया। लेकिन पूरे देश में एक भी चर्च किसी मंदिर, गुरुद्वारे, किसी मस्जिद को तोड़कर उसकी जगह नहीं बनवाया। ऐसा एक भी सबूत पूरे भारत में नहीं है। उन ढाई सौ वर्षों के दौरान ही उन्होंने देश में 550 कॉलेज और 20 यूनिवर्सिटी भी बनवाईं।
जबकि तुर्की अफगानिस्तान से आए डकैत भी इस देश में लगभग 800 साल तक रहे। इस दौरान डाकू गजनी गौरी बाबर से लेकर डाकू औरंगज़ेब तक, उन डकैतों ने हजारों मंदिरों को लूटा, उन्हें तोड़कर उन पर अपने गिरोह के हजारों अड्डे बनवाए। ये डकैत इतने अनपढ़ जाहिल गंवार उजड्ड थे कि 800 साल तक एक भी विद्यालय नहीं बनवाया, आज ऐसा एक भी अवशेष, एक भी प्रमाण पूरे भारत में, यहां तक कि तुर्की और अफगानिस्तान तक में नहीं मिलता। गूगल पर सर्च कर लीजिएगा इस सच्चाई को।
पठन पाठन, ज्ञान विज्ञान के अध्ययन से इन अनपढ़ गंवार मज़हबी उजड्ड डकैतों को इतनी नफरत थी कि तक्षशिला नालंदा सरीखे जो सैकड़ों प्राचीन विश्वविद्यालय थे उन सबको, उनमें रखी किताबों तक को भी आग लगा दी।
उपरोक्त तथ्य उस जहरीले झूठ की सारी परतें उधेड़ देता है, जो जहरीला झूठ 70 सालों तक प्राथमिक कक्षाओं से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक हमको आपको 70 सालों तक पढ़ाया गया। अनपढ़ अय्याश, व्यभिचारी अत्याचारी डकैत अकबर को इतिहास की किताबों में ग्रेट मुगल लिखा गया। 800 साल तक पढ़ाई लिखाई का एक भी केंद्र नहीं बनाने वाले, प्राचीन शिक्षा केंद्रों को जलाने वाले उन अनपढ़ गंवार मज़हबी उजड्ड डकैतों की जानवरों सरीखी जीवनशैली को इतिहास की किताबों में महान मुगल संस्कृति लिखा गया।
लेकिन पहले अयोध्या और अब काशी की सच्चाई उन डकैतों की असलियत उजागर कर रही है। उन डकैतों के चेले मथुरा और ताजमहल का सर्वे कराने से इसीलिए डर रहे हैं। उन डकैतों को ग्रेट मुगल, हत्या लूटपाट बलात्कार की उनकी वहशी जीवनचर्या को इतिहास की किताबों में महान मुगल संस्कृति लिखने वाले वामी कांगी लंपटों को भी डर लग रहा है, क्योंकि अयोध्या काशी की सच्चाई उजागर होने के बाद नंगे हो चुके ये वामी कांगी लंपट अब मथुरा और ताजमहल की सच्चाई को सामने नहीं आने देना चाहते हैं। क्योंकि सच्चाई जब भी सामने आएगी तो दुनिया के सामने यह सच्चाई उजागर हो जाएगी कि वामी कांगी लंपटों ने जिस ताजमहल को मोहब्बत की निशानी बताकर दुनिया की आंखों में धूल झोंकी वह इन डकैतों द्वारा डकैती डालकर लूटा गया मंदिर है।

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साभारः सतीश चन्द्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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