समाजवादी पार्टी की रैली मे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यो लगाये गये?
राष्ट्रदोह करने की हिम्मत तथाकथित जयचंदो में कैसे आ जाती है?
Positive India:Dr Chandrakant Wagh:
कल आगरा मे समाजवादी पार्टी की रैली मे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये गये । पता नहीं यह किस किस्म की राजनीति है या लोग इतने निचले स्तर पर भी जाकर राजनीति कर सकते है यह हैरानीगी वाली बात है । क्या यह सब करने से वोट मिल जाएगा यह सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है । दुर्भाग्य से जिनके राजनीति के पाये ही धर्म और जाति के गठजोड़ पर निर्भर है, उनसे ज्यादा उम्मीद करना ही व्यर्थ है । मेरा तो साफ मानना है कि एक राष्ट्रवादी मुसलमान भाई इस देश के लिए ज्यादा हितकर है बनिस्बत इन जयचंद तथाकथित हिंदूओ से ।
इस देश का भी अपना इतिहास रहा है। इन जयचंद लोगों ने ही अपने राजनीतिक फायदे के लिए धर्म का खुलकर खेल खेला है । यह बात हमारे मुस्लिम भाई लोग भी जानते है । यही कारण है कि आज के केरल के महामहिम राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने शाहबानो केस मे सर्वोच्च न्यायालय के दिये गये फैसले के खिलाफ जो बिल तत्कालीन राजीव गांधी जी की सरकार ने लाया तो उनहोंने अपने समाज के हित को पहले ध्यान मे रखकर केंद्रीय मंत्री के पद को लात मारकर इस्तीफा दे दिया। यह वह देश है जहां सैन्य क्षेत्र मे पहला परमवीर चक्र शहीद ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को दिया गया था । वहीं पाक के सत्रह पैटन टैंक को भी शहीद अब्दुल हमीद ने उडाया था। स्व. दारा शिकोह से लेकर अब तक यह बहुत बडी फेरहिस्त है।
पर राजनीति के कुछ लोगों को यह नहीं भाता, उन्हे अपने राजनीतिक ऐजैंडे की ज्यादा चिंता है । यही कारण है कि देश के लिए काश्मीर से सर जमीं पर एक तरफ इंस्पेक्टर शहीद यूसुफ पंडित शहीद औरंगजेब जो छुट्टी मनाने अपने गांव आया था उसे दुर्भाग्य से मार डाला गया। तब एक दल के लोग मोदी जी को हटाने के लिए पाकिस्तान से सहायता मांगने गये हुए थे। दुर्भाग्य से इस देश मे कानून इतने लचीले है कि इन लोगों की राष्ट्रदोह करने की हिम्मत हो जाती है । ऐसे लोगों की ऐसी निरलज्जता से इस देश के लोकतंत्र में भागीदारी कैसे संभव हो पाती है यह समझ से परे है । खुशी की बात है कि देश के अधिकांश मुसलमान भाई भी इस राजनीति को समझ गये है । अब खुले आम इसकी खिलाफत भी करते है । विशेषकर मेरी मुस्लिम बहने तो खुलकर राष्ट्रीय चैनलों मे इसका हिस्सा भी बनती है । वहीं पाकिस्तान मे भी बहुत जागरूक लोग बैठे जो अपने देश की खिलाफत कर भारत से अच्छा संबंध बनाने की खुलकर पैरवी करते दिखाई देते हैं।
तारिक फतह, वह कराची का पूर्व मेयर जिनका नाम याद नहीं आ रहा है, मोहतरमा आरजू काजमी, एक टीवी पत्रकार और है जो हर मामले मे हिंदुस्तान का पक्ष लिए खडे नजर आते हैं। कुल मिलाकर देशद्रोह या देश के खिलाफ साजिश का हिस्सा कोई धर्म नहीं हो सकता ।
अगर कोई हिंदू है पर अपने राजनीति के लिए यह सब करता है तो वह भी निंदनीय है। हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है सभी के लिए है । अब समय आ गया है कि ऐसे राजनेताओं को दरकिनार कर इनकी दुकान ही खत्म करने की आवश्यकता है। ये लोग न देश का भला कर रहे है, न उस समाज का, धर्म का जिसकी ये राजनीति कर रहे है । अब हमारी जागरूकता ही इन्हे किनारा लगाएगी।
इस देश मे भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन स्व. अब्दुल कलाम हो, चाहे भारत रत्न स्व. बिस्मिल्लाह खान जी हो या फिर सदाबहार गायक स्व.मोहम्मद रफ़ी या फिर इस देश मे भारतीय जनता पार्टी की सरकार का स्वपन देखने वाले न्यायविद स्व.मोहम्मद करीम छागला जी हो या फिर धर्मनिरपेक्षता के नाम से लड़ जाने वाला कलाकार स्व. इरफान हो या मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री स्व.आरिफ बेग, हमारे छत्तीसगढ़ के प्रख्यात रामायणी दाउद खान जी हो; बहुत लंबी लिस्ट है । राजनैतिक दलों के नेता कभी अपने मंशा पर सफल नहीं होंगे । इसी कामना के साथ । बस इतना ही ।
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ-अभनपूर(ये लेखक के अपने विचार हैं)