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सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों से क्लीन चिट क्यो दी ?

-तपन साहा की कलम से-

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Positive India:Tapan Saha:
वर्ष 2002 में गुजरात दंगों में अनेक लोग मारे गए थे, जिनमे एक मुस्लिम सांसद अहसान जाफरी भी मारे गए थे। वर्ष 2010 में अहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी एवं उसकी मंत्रिमंडल में शामिल होने का आरोप लगाते हुए SIT के माध्यम से जांच कराने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में सीबीआई चीफ राघवन की अध्यक्षता में SIT का गठन किया । SIT ने दो वर्षों तक जांच किया एवं नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों से क्लीन चिट देते हुए अपनी क्लोजर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी।
असली प्रोपेगंडा इसके पश्चात चालू हुआ। तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता जावेद सीतलवाड़ ने एक सुनियोजित प्रोपेगंडा चलाया। उसने जकिया जाफरी को मोहरा बनाते हुए पहले निचली अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती दी । निचली अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट को सही ठहराया। जकिया अंसारी का साथ अनेक भ्रष्ट नेता भ्रष्ट पुलिस अधिकारी एवं तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के अनेक ब्यूरोक्रेट व कांग्रेस के नेताओं ने नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की षडयंत्र पुर्वक प्रोपेगंडा प्रारंभ कर दिया।

मीडिया में ब्रांडेड पत्रकारों के गैंग ने मोदी को बदनाम करने का एजेंडा लगातार चलाया। वे यहीं नहीं रुके। इस लॉबी ने योजनाबद्ध तरीक़े से अमेरिका में मोदी के अमेरिकी यात्रा का वीजा रद्द करवा दिया। तीस्ता जावेद सीतलवाड़ तथा टुकड़े टुकड़े गैंग ने इसके पश्चात् जकिया जाफरी की ओर से गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की, किंतु गुजरात हाईकोर्ट ने भी एसआईटी के रिपोर्ट को सही पाते हुए याचिका खारिज कर दी।

इसके पश्चात् पुनः तीस्ता जावेद सितलवाड़ सक्रिय हो गई और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष SIT report को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी । सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबे समय तक अटका रहा और आज उस पर फैसला आ गया।
यह भी उल्लेखनीय है कि गुजरात दंगों के समय तात्कालिक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का जी न्यूज़ के पत्रकार सुधीर चौधरी ने 10 मिनट का 1 मार्च 2002 को एक इंटरव्यू लिया था। उस इंटरव्यू के बारे में यह प्रचारित किया गया कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात दंगे को गोधरा कांड की प्रतिक्रिया में हुआ हिंसा बताया है। एसआईटी के द्वारा कई बार पूछ्ताछ के लिए बुलाया गया और उनसे घंटो घंटो तक पूछ्ताछ की गई।
उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से भी एसआईटी ने 10 घंटे तक लगातार पूछ्ताछ की थी।

आज राहुल गाँधी को उनसे यह सबक लेना चाहिए कि जब उन्हे ED ने पूछ्ताछ के लिए बुलाया तो वे अपने साथ मुख्यमंत्रियों और कांग्रेस के विभिन्न नेताओं के साथ लावलश्कर लेकर ED दफ्तर तक गए। कांग्रेसी कार्यकर्ता कई दिनों तक धरना रैली निकालते रहे ।
इसके विपरीत जब गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर उन्हें बदनाम किया गया और उन्हें SIT पूछ्ताछ के लिए बुलाया गया तो वे सिर्फ अकेले गए। जबकि वे मुख्यमंत्री थे।

मुख्य बात यह है की माननीय उच्चतम न्यायालय ने जी न्यूज़ के राष्ट्रवादी पत्रकार सुधीर चौधरी के इंटरव्यू का भी जिक्र कई बार अपने फैसले में किया है। वही सुप्रीम कोर्ट ने कथित समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड़ की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए हैं कि वह न्यायिक प्रक्रिया का कैसे दुरुपयोग करती रही। तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ़ भी कार्यवाही किए जाने का सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है। आज सत्य की जीत हुई है और कथित टुकड़े टुकड़े गैंग की हार हुई।

20 साल तक नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों के लिए बदनाम किया जाता रहा। प्रत्येक चुनाव में उन्हें गुजरात दंगों का आरोपी बताकर दुष्प्रचार किया जाता रहा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन विपक्षियों और टुकड़े- टुकड़े गैंग के मुँह पर करारा तमाचा है।

लेखक:तपन साहा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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