सुबुही ख़ान ने शोएब जमाई को पीट कर चैनल से बाहर क्यो निकाल दिया ?
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India:Rajkamal Goswami:
देश के असली जमाई तो शोएब जमाई ही हैं जिनका इरादा भारत को अखंड मुस्लिम राष्ट्र बनाने का है । बस वे भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश की कुल मुस्लिम आबादी के ७५ करोड़ पार होने का इंतज़ार कर रहे हैं ।
यह बयान उन्होंने एक टीवी डिबेट में दिया । उन्होंने एक मुस्लिम महिला सुबुही ख़ान की उनके हिंदू पति से हुई सन्तान को हरामी कहा क्योंकि इस्लामी शरीयत के अनुसार किसी काफिर से शादी तब तक हराम होती है जब तक कि काफिर पति विधिवत इस्लाम न क़ुबूल कर ले । अब शादी ही हराम है तो उससे उत्पन्न संतान भी इस्लामी शरआ के मुताबिक़ हरामी ही होगी ।
सुबुही ख़ान का भड़कना स्वाभाविक था । भारत में स्वैच्छिक समान नागरिक संहिता तो लागू हैं । स्पेशल मैरिज एक्ट अंतर्धार्मिक विवाह को क़ानूनी जामा पहनाने के लिए ही बनाया गया था । इन शादियों से उत्पन्न संतानों पर धार्मिक उत्तराधिकार भी लागू नहीं होता । इनके लिए इंडियन सक्सेशन एक्ट भी मौजूद है । देश का क़ानून मानने वाला कोई नागरिक इस तरह की शादी को हराम नहीं कह सकता । मगर मुल्ला के लिए संविधान का तभी तक उपयोग हो सकता है जब तक उनके रास्ते के आड़े नहीं आता । जहाँ संविधान इस्लाम से टकराता हो वहाँ संविधान कूड़ा है । आज़म खां पहले ही कह चुके हैं कि संविधान कोई आसमानी किताब नहीं है ।
बहरहाल सुबुही ख़ान ने जमाई साहब को पीट कूट कर गाली देते हुए चैनल से बाहर निकाल दिया । मगर इस्लाम के अनुसार तो जमाई ही सही है । उसने सच बोला । इस्लाम के नज़दीक ऐसे रिश्ते की कोई अहमियत नहीं है । लिव इन में रहने वाली रखैल लड़कियाँ इसीलिए मारी जा रही हैं कि इस्लाम में ज़िना की सज़ा मौत है ।
अच्छे दिनों में बहुत सारे लोगों के भरम टूट रहे हैं यह अच्छी बात नहीं है ।
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)