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अपनी देह से कुछ स्त्रियां इतनी खफ़ा-खफ़ा क्यों रहती हैं?

- दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
समझ नहीं आता कि अपनी देह से कुछ स्त्रियां इतनी खफ़ा-खफ़ा क्यों रहती हैं? स्त्रियां प्रकृति की विलक्षण कृति हैं। उन के बिना दुनिया सूनी-सूनी है। अपनी मादा पहचान से कोई और जीव शायद ही इतना विपन्न महसूस करता हो। जितना हमारी कुछ स्त्रियां भूले-भटके करने लगती हैं। तो कुछ एक उम्र गुज़र जाने के बाद इस ध्वनि में बोलती मिलती हैं, ‘नीक भया, यौवन गया/ जने-जने का रुठना हम से सहा न जाय !’ और यह सब तब है जब सृजन का मूल सुख, रचने का सुख प्रकृति ने स्त्री को ही दिया है। मैं अपनी बात बता सकता हूं कि अगर मैं पुरुष की जगह स्त्री होता तो ज़्यादा सुखी होता। इस लिए कि मुझे मां बनने का सुख मिलता। सौभाग्य मिलता। कुछ रचने और उसे गढ़ने का सुख मिलता। इस संपन्नता से वंचित हूं मै पुरुष हो कर। एक रचनाकार होने के नाते रचने का सुख मुझे मालूम है, इसी बिना पर यह बात भी कह रहा हूं।

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मनुष्य होना भाग्य है तो स्त्री होना सौभाग्य ! तो यह देह से आज़ाद होने की बात मुझे बेमानी लगती है। अगर यह देह न हो स्त्रियों के पास तो उन्हें अपनी विपन्नता का अंदाज़ा लग सकता है। ज़्यादा दूर जाने की ज़रुरत नहीं है, किसी ऐसी स्त्री से मिलिए जिस ने कैंसर या किसी और वज़ह से अपने वक्ष कटवा बैठी हो उस से पूछ लीजिए कि यह स्त्री चिन्ह उस के जीवन में कैसा होता है? और कि उस के बिना वह कितना विपन्न महसूस करती है। या किसी ऐसी स्त्री से मिलिए जो किसी कारण से मां बनने से वंचित हो। तो पता चलेगा कि देह क्या होती है? स्त्री चिन्ह और उस की उपयोगिता क्या होती है। किसी स्त्री को पुरुष न देखे किसी कारण से तो उस से पूछिए कि उसे दिक्कत क्या होती है? स्त्री होने की ताकत को जानिए, और स्त्री चिन्हों की ताकत को भी। स्त्रियों की सुंदरता भी दुनिया को किस तरह सुंदर बनाती है, यह स्त्रियां भी जानती हैं।

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पर जाने यह कौन सी अकुलाहट है कि वह अपनी देह के बिना जीवन को जीने की छटपटाहट को जीती रहती हैं। यह तो वैसे ही है जैसे नदियां बिना जल के, जल हो भी तो बिना प्रवाह के जीने की बात करें। तो क्या वह नदी, नदी भी रह जाएगी? देह के बिना स्त्री भी क्या होगी भला? आप इसे मर्दवादी सोच मान लें या कुछ और लेकिन बिना स्त्री के, बिना स्त्री देह के किसी दुनिया की कल्पना कम से कम मैं तो नहीं कर सकता। समेत अपनी देह के स्त्री, दुनिया के इस बागीचे का सब से खूबसूरत और सुगंधित पुष्प है।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

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