Positive India:Dr Chandrakant Wagh:
आजकल देश में लव जेहाद(Love Jihad) पर काफी चर्चा का विषय बना हुआ है । पर यह चर्चा आज की परिस्थितियों में सामयिक है । इस विषय ने इतना ज्यादा तूल क्यो पकड़ा? यह भी चिंतनीय विषय है । अभी तक धर्मनिरपेक्ष सरकारें थी, उसे इससे कोई लेना देना नही था । उनका मानना भी यह था कि इस तरह के प्रेम विवाह धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करते है । पर अब मामले इतने ज्यादा आने लगे है कि Love Jihad अपने आप में एक सामाजिक समस्या का विषय बन कर उभर चुका है ।
एक तरफ लव जिहाद पर धर्मनिरपेक्षता के लोग जहां इसकी आवश्यकता पर इंकार करते है,वही हो रही सच्चाई से मुख मोड़ते हुए भी नजर आ रहे हैं। वैसे लव मैरेज से किसी भी को इंकार नहीं है। अगर कोई बालिग अपने आपसी रज़ामंदी से शादी करते है, तो पालक तक को इस बात को स्वीकार करना ही पड़ता है, भले ही कोई मजबूरी में ही करे । इसमे तो धर्म भी आड़े नहीं आ पाता। यह तो इन्हे संवैधानिक अधिकार मिला हुआ है।
ऐसे क्या कारण है कि लव जेहाद पर हायतौबा मची हुई है? पर जानकर भी अंजान बनने के नाटक से ज्यादा कुछ नहीं है। जब शादी के लिए संवैधानिक अधिकार मिले हुए हैं; यहां तक अलग अलग धर्म के लोगों को शादी का अधिकार प्राप्त है तो फिर इस कानून की मुखालफत क्यो की जा रही है? यह भी आज यक्ष प्रश्न है। यहां सिर्फ यह कहा जा रहा है कि नाम परिवर्तन कर प्यार मे धोखा देना और शादी के बाद के धर्म परिवर्तन को अंजाम देने के तरीके को ही लव जेहाद का नाम दिया गया है। फिर इन्हे इस पर किस की आपत्ति है ? देश में कुछ केस होते तो कोई बात नहीं थी, वैसे तो यह भी नहीं होना चाहिए। पर जब अपने संवैधानिक अधिकारों के दुरूपयोग के मामले बहुतायत में आने लगे तो यह सामाजिक चिंता का विषय बनना लाजमी है ।
लव जेहाद की जो बाते सोशल मीडिया की सुर्खियों का हिस्सा बनी, जिसमे आगे चलकर हत्या और आईएसआईएस के तरफ भी जब धकेलने की खबरें आने लगी, तो इस अपराध पर कानून बनाने की बात पर गौर किया गया। जो लोग इस बात का विरोध कर रहे हैं तो लव जेहाद पर होने वाले घटनाओ पर क्या यह लोग सहमत है ? धर्मनिरपेक्षता के नाम से ऐसे कुकृतयो को क्या उचित माना जा सकता है?
सवाल यह है कि जब आप प्यार कर रहे हैं, तो अपनी असलियत क्यो छुपा रहे है ? क्या अपने व्यक्तित्व व प्यार पर भरोसा नहीं है, जिसके कारण अपने मूल नाम से परहेज किया जाता है । फिर यह शादियां टूटती क्यो है? वहीं कहीं कहीं अपने बुरे अंजाम मे परिणित होती है, जो दुखद है ।
लव जेहाद के मामले में आगे चलकर पीड़ित लड़की को घर से भी सहायता नहीं मिलती है। क्योकि बात नहीं मानने के कारण लड़की वाले इतने नाराज हो जाते है कि लड़की से कोई मतलब नहीं रखते । ऐसे परिस्थितियों में लड़की न घर की रहती है न घाट की । फिर एक ही विकल्प बचता है वो है आत्म हत्या का ।
एक तरफ इस कानून का विरोध करने वाले कहते हैं कि ऐसी कोई घटनाये नहीं होती तो फिर विरोध ही क्यो ? रखने दिया जाए बिल, कोई प्रभावित नहीं होगा। कम से कम मूल नाम बदलकर अपने नाम को छुपा कर किसी ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के पहले दस बार सोचना पड़ेगा। सीधी सीधी जवाब देही तय होते दिखेंगी । इसके कारण इस तरह के घटनाक्रम मे आश्चर्य जनक कमी हो जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
मेरे इस लेख मे मैने उन लव मैरेज का कोई विरोध नहीं है जो पाक साफ है, जिन्होंने सच्चा प्यार किया है। अगर इस देश में ऐसे विवाह को देखा जाए तो एक लंबी फेरहिस्त है ,जिसमे स्व.अरूणा आसिफ अली, स्व. सुनील दत्त स्व.नर्गिस दत्त का नाम विशेष रुप से लिया जाता है। देवानंद और सुरैया का प्रेम धर्म के कारण परवान नहीं चढ पाया, पर सुरैया ने अंत तक विवाह नहीं किया। इस तरह के उदाहरण आपको हर क्षेत्र मे मिलेंगे ।
जहां किसी भी प्रेम मे कोई गुप्त एजेंडा शामिल हो और वो बाद में खुल जाए, वही यह प्रेम लव जेहाद बनकर सामने आता है। कई विवाह है जहां धर्म अलग अलग होता है पर शादी के बाद वो अपने मूल नाम से ही रहते हैं और दोनों धर्म का सम्मान भी करते है। आजकल टीवी चैनलों के डिबेट में सुबुही खान आती है, उसने एक हिंदू लड़के से शादी की है । सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता को डिबेट मे हर विषयों पर सारगर्भित बोलते देखा जा सकता है।
यह देश अशफाक उल्ला खां का ॠणी है, जिन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह देश मोहम्मद रफ़ी का ॠणी है, जिनके भजनों व गानों के स्वरों से भारत गूंजा है । यह देश शहीद अब्दुल हमीद का ॠणी है,जिनके शौर्य तथा पराक्रम से हम आज महफूज है। यह देश पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन अब्दुल कलाम आजाद जैसे सही धर्म निरपेक्षता का ॠणी है, जिन्होंने अपने कार्य से भारत को महान बनाया ।
हमे अब इसे धर्म के चश्मे को उतारकर वास्तविकता देखने की आवश्यकता है। हमे उन लोगों का भी समर्थन नहीं करना चाहिए जो प्रेम जैसे पाक चीज को बदनाम कर अपने स्वार्थ के लिए अपराध कर रहे है । अगर यह बिल आता है तो उस अपराधी हिंदू पर भी लागू होगा। फिर इसकी व्यापकता को क्यो नजरअंदाज किया जा रहा है? बिल का समर्थन कर कम से कम उन लोगों को भी राहत मिलेगी, जो प्रेम का सही मायने समझते हैं। चलो नये भारत का निर्माण करे । बस इतना ही ।
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ-अभनपूर ।