द दिल्ली फाइल्स के लिए विवेक अग्निहोत्री को अग्रिम शुभकामना क्यों?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
अनुमान तो पूरे देश को था कि द कश्मीर फाइल्स के बाद और भी फाइलें खुलेंगी। लेकिन विवेक अग्निहोत्री ने स्वयं अब टाइटल ट्वीट कर दिया है ‘द दिल्ली फाइल्स’।
द कश्मीर फाइल्स के बिजनेस और कमाई को लेकर कश्मीरी हिंदुओं के विरोधियों ने जो सवाल उठाया वह तो स्वभाविक ही था। आश्चर्य तो मुझे तब हुआ जब कश्मीरी हिंदुओं के साथ खड़े होने वाले लोग भी कश्मीर फाइल्स पर विवेक अग्निहोत्री की सफलता को पचा नहीं पा रहे थे। क्या ऐसे लोग अब दिल्ली दंगे वाली फाइल्स को खोलने के लिए पैसे डोनेट करेंगे?
फिल्मों का बड़ा बैनर कोई निजी बिजनेस बैनर होता है। कोई दबाव से कह नहीं सकता कि उस बैनर को आमदनी के पैसे कैसे खर्च करने चाहिए। लेकिन फिक्शन का बाजार चलाकर पैसे कमाने वाली संस्था जब राष्ट्र और लोकहित में काम करने का बीड़ा उठा ले तो यह प्रशंसा योग्य है। नफरती लोग यही नहीं होने देना चाहते। सड़क से लेकर संसद तक मजाक उड़ाने लगते हैं, ठहाके लगाने लगते हैं।
ताहिर हुसैन और अमानतुल्लाह खान जैसे लोग किसी बड़े राजनीतिक बैनर के सहारे विधायिका तक पहुंच जाते हैं और मजहबी आतंकवाद का घिनौना खेल शुरू कर देते हैं। ऐसे आतंकवादियों के साथ न्यायपालिका का न्याय पर्याप्त नहीं। ऐसे खतरनाक लोगों को लोक में पहचान लिया जाना ज्यादा आवश्यक होता है। इसलिए इनके फाइल्स जनता की अदालत में खुलने ज्यादा जरूरी हैं। द दिल्ली फाइल्स के लिए विवेक अग्निहोत्री को मेरी अग्रिम शुभकामना।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)