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शाहरुख खान ने लता मंगेशकर की श्रद्धांजलि सभा में क्यों थूका ?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
हम देहाती हैं। लालटेन से पहले के युग हमने देखे हैं। डिबिया बोलते थे उसको जिससे पहले रोशनी होती थी। भोजपुरी इलाके के अथवा उत्तर प्रदेश के लोग ढ़िबरिया बोलते हैं। छोटे थे तो डिबिया को बुझाने के लिए मुंह से फूंक देते थे। फिर घर के बड़े लोगों ने संस्कार दिये कि मुंह से नहीं फूंकते, और कारण भी बताया। दूध उफन आए तो भी मुंह से नहीं फूंकना चाहिए। पर्व त्योहार के पवित्र सामान के लिए तो नियम निष्ठा और भी अधिक।

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कोई पार्थिव शरीर भी हमारे संस्कार में पवित्रता के ऊंचे मानदंड पर होते हैं। हमारे पवित्रता का मानदंड वेद काल से है। हजार साल पहले कोई गौरी और मुगल ने भारत पर जिहाद नहीं किया होता तो शाहरुख खान नहीं आए होते। हम हमारे पवित्रता में उनके कारण समझौता क्यों करें? हां, ठीक है कि हमने अब तक प्रश्न नहीं किया था। हमने उन्हें देश की मिट्टी पर जगह दी। हमने उन्हें अपने समाज में जगह दिया। हमने उन्हें अपनी किताबों में जगह दी। अब तो हम उन्हें अपनी रसोई तक में भी जगह दे रहे हैं। जगह ही नहीं दे रहे बल्कि सम्मान भी कर रहे हैं।

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उन्होंने क्या किया? देश की मिट्टी पर जगह दिया तो देश बांट लिए। किताबों में जगह दी तो जिहाद का एजेंडा चला लिए। रसोई में जगह दी तो खाने में थूक रखने लगे। हमने कभी कोई सवाल नहीं किया। लेकिन अब हम प्रश्न करते हैं। अब बुरा नहीं लगना चाहिए। अब हम पूछने लगे हैं कि हमारे रसोई में क्यों थूकते हो? अब हम पूछने लगे हैं कि जिहाद का अपना एजेंडा क्यों चलाते हो? अब हम पूछने लगे हैं कि कश्मीर तुम्हें क्यों चाहिए? इसी प्रकार अब हम पूछने लगे हैं कि हमारी श्रद्धांजलि सभा में तुमने थूका क्यों? अगर दुआ ही फूंका तो पहले ये बताओ, क्या तुम्हारे हिसाब से कोई काफिर जन्नत जा सकता है?

अब जो वक्त चल रहा है तुम्हें बुरा नहीं लगना चाहिए। तुम्हें इसका उत्तर देना चाहिए और तुम्हें इसका उत्तर अब देना ही पड़ेगा। अब तुम्हें केबल वर्तमान का उत्तर ही नहीं तुम्हें अपने पूरे करामाती इतिहास पर उत्तर देना पड़ेगा। अच्छा हुआ तुमने मुगलों को भी डिफेंड कर लिया। अब मुगलों के हिस्से का भी प्रश्न हम तुम्हीं से करेंगे। अच्छा हुआ तुमने गौरी और गजनबी को भी डिफेंड कर लिया। उसके हिस्से के भी बहुत सारे प्रश्न हैं जो अब हम तुम्हीं से करेंगे।

हम जब तक तुम से प्रश्न नहीं कर रहे थे, तब हम बहुत अच्छे थे। तब हम सहिष्णु थे। हम तब सहिष्णु थे जब हमने तुमको अफगानिस्तान दिया। बांग्लादेश दिया। पाकिस्तान दिया। हम तब असहिष्णु हो गए जब हमने कश्मीर नहीं दिया। हम तब असहिष्णु हो गए जब अब हम प्रश्न करने लगे हैं तुमसे। तुम हमें भाजपा का आईटी सेल कहकर टाल नहीं सकते। हमारा प्रश्न बहुत जिंदा प्रश्न है। हम ही असल भारत हैं और हम ही नया भारत हैं।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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