राहुल गाँधी की “फ्लाइंग किस”का बचाव पत्रकार राहुल देव ने क्यो किया?
-अजीत भारती की कलम से-
Positive India:Ajeet Bharti:
वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव लिखते हैं: “फ्लाइंग किस-एयर किसिंग एक वर्ग के लिए आपत्तिजनक है क्योंकि इनका पारिवारिक-सामाजिक संदर्भों-स्थानों में सहज व्यवहार होते देखना उनके अनुभव में नहीं आया है। एक वर्ग में यह इतनी सामान्य बात है कि कोई ध्यान भी नहीं देता। मेरी बेटी मुझे, अपनी माँ को सहज ही फ्लाइंग किस भेजती है, हम उसे।”
किसी ने पूछा, “महोदय, मैं आपकी पत्नी को फ्लाइंग किस करूँ तो आपको कोई ऐतराज़ नहीं होगा न?”
वरिष्ठ पत्रकार ने थेथरई से उत्तर दिया, “अगर आप हमारे घनिष्ठ पारिवारिक मित्र हैं तो बिलकुल नहीं। पारिवारिक-सामाजिक-मैत्री संबंधों में होने वाले एक सामान्य व्यवहार को इतना कुत्सित रूप देना आपके लिए बिलकुल आश्चर्यजनक नहीं है।”
राहुल देव जी, अनुभव में तो गाल सटाना भी नहीं आया है? तुम्हारे घर में क्या होता है, वो भाई तुम रखो अपने पास! बहुत सारे लोग अपनी बहन से निकाह पढ़ते हैं, छत पर सेक्स करते हैं, गाल सटा कर अभिवादन करते हैं, लिप-टू-लिप चुंबन करते हैं तो क्या वो संसद में भी वैसे व्यक्ति के साथ हो जाए जो आपके साथ सहज नहीं?
बुढ़ापे में मति भ्रष्ट हो गई है आपकी। अभिवादन के प्रकार और संदर्भ, समाज और स्थान के हिसाब से होते हैं। दो सांसद, जो कि पति-पत्नी हैं, बेडरूम में साथ में सोते हैं, तो आप उनके लोकसभा में चुम्मा-चाटी को यह कर डिफेंड करेंगे कि आप भी अपनी पत्नी के साथ करते हैं, और आपके बच्चे सहज हैं इसको ले कर?
ये बकलोली भरे तर्क, कुतर्क है। संसद भवन की मर्यादा है। किसी ने उस बुजुर्ग गधे से माँगा था चुम्मा? वो क्या उसके परिवार का कोई घनिष्ठ था? किस बात को डिफेंड कर रहे हो?
एक व्यक्ति या विचारधारा की दासता में इतने मत गिर जाओ कि दर्पण देख कर स्वयं की नीचता से घृणा हो जाए। अभिवादन का चुंबन हो या पारिवारिक प्रेम का प्रदर्शन, वह मित्रों के साथ होता है, वह घर में होता है। संसद भवन में स्त्री सुरक्षा पर ज्ञान देने के बाद ऐसा करना ‘छिनरपन’ है।
तुम अपने घर में छिनरई करना सामान्य और सहज मानते हो, तब भी वह एक सार्वभौमिक सत्य केवल इसलिए नहीं हो जाता क्योंकि तुम एक पत्रकार हो और बाल पक चुके हैं।
साभार:अजीत भारती-(ये लेखक के अपने विचार है)