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सानिया मिर्जा तलाक की खबरों को लेकर चर्चा में क्यो हैं?

-सर्वेश तिवारी श्रीमुख की कलम से-

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Positive India:Sarvesh Tiwari:
सन दो हजार के दशक में युवा हुए लड़कों में अधिकांश ऐसे हैं जिनके होठों पर सानिया मिर्जा का नाम आते ही एक रोमांटिक मुस्कान तैर उठती है। सब उनसे प्रेम करते थे। वे इकलौती गैर सिनेमाई लड़की थीं जिसकी तस्वीरें हीरोइनों से अधिक बिकीं और लड़कों के कमरों की दीवालों पर टँगी थी। क्षेत्रीय भाषाओं में सैकड़ों लोकगीत बने उनके नाम पर, और शायद ही कोई पत्रिका हो जिसकी कवर स्टोरी न रही हो सानिया पर।
सानिया मिर्जा पिछले दशक में नारीवाद की सबसे मजबूत प्रतीक रही हैं। एक दकियानूसी बैकग्राउंड से निकल कर कभी “छोटे कपड़ों” के के लिए तो कभी खेलने को लेकर जारी हुए फतवों से जूझते हुए सफलता के शिखर पर पहुँची सानिया छा गयी थीं। उनकी उपलब्धियों पर भारत झूमता था।

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भारत में स्त्रीवाद जब असफल लेखिकाओं का प्रलाप भर रह गया था, तब सानिया ने बताया कि मजबूत स्त्री होने का अर्थ सुबह से शाम तक पुरुषों को गाली देना नहीं है, बल्कि पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में भी अपना सशक्त स्थान बना लेना है। उसने अपने जीवन के लिए अनेक निर्भीक निर्णय लिए। परिवार द्वारा तय की गई शादी से अंतिम क्षण में इनकार कर अपनी सगाई तोड़ देना हो, या भारत के परंपरागत शत्रु देश में निकाह करने का निर्णय लेना हो… या फिर उतनी सफलता के बाद भी किसी तलाकशुदा से निकाह का निर्णय, इसके लिए बड़े साहस की आवश्यकता थी। पाकिस्तानी से निकाह करना उनके परिवार को भले कम चुभा हो, पर उनके भारतीय प्रसंशकों को बहुत अखड़ी थी यह बात। खैर…
सानिया उन विषयों पर भी निर्भीकता से बोल देती थीं, जिसपर उनके समाज की लड़कियां सोच भी नहीं पातीं। यह बहुत बड़ी बात थी।
इधर दो दिन से सानिया तलाक की खबरों को लेकर फिर चर्चा में हैं। खबरों के अनुसार क्रूर पुरुषवादी मानसिकता वाले पाकिस्तानी समाज के शोएब सानिया के बाद तीसरा विवाह करने जा रहे हैं। वैसे तो पाकिस्तान जैसे देश में यह आश्चर्यजनक बात नहीं है, पर देखना यह होगा कि क्या सानिया जैसी स्वतंत्र स्त्री इसे स्वीकार करती है।
वैसे तथ्य यह भी है कि जब सानिया ने शोएब से निकाह किया था तब भी उनके लिए शोएब ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ा था। अब वे तीसरी पत्नी के लिए सानिया को छोड़ रहे हैं। यदि वह ठीक था तो यह भी ठीक है, और अगर यह बेवफाई है, तो वह भी बेवफाई थी।
हमारी पीढ़ी की महिलाओं के लिए ज़रूरी यह है कि जितना उन में आधुनिकता बोध है उतना ही परम्परा बोध भी बचा रहे क्योंकि गलत परम्पराओं के कांटे सबके पैरों में चुभते हैं।
सानिया के भविष्य के लिए हमारी शुभकामनाएं हैं। आगे आगे देखते हैं…

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साभार:सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार है)

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