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धीरेन्द्र शास्त्री के बिहार पहुंचते ही जातिवाद का जहर बो कर सत्ता का भोग करने वाले क्यो तिलमिला उठे?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
वही बिहार जहां की पहचान है जातिवाद। जाति जनगणना सरकार की सबसे जनकल्याणकारी योजना है। और उसी बिहार के जमीन पर आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री हिंदूराष्ट्र की ध्वजा लेकर उतर गए तो जन सैलाब उमड़ गया। तो जातिवाद का जहर बो कर सत्ता का भोग करने वाले तिलमिला उठे।

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एक तरफ जहां जाति जनगणना पर अदालत ने रोक लगा दी, सरकार को खूब फटकार लगी, जाति जनगणना के नाम पर करोड़ों रुपए के बेनियम निकासी किए गए, उस पर भी अदालत ने सरकार से प्रश्न कर दिया। ऐसा लगता है जैसे नियति ने तय कर दिया था कि जिस भूमि पर हिंदूराष्ट्र का ध्वजा लेकर आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री पधार रहे हैं, उनके आगमन से पहले जाति गणना का सरकारी षड्यंत्र समाप्त हो जाय।

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आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री जब बिहार पहुंचे, कथा के लिए परमिशन के नाम पर सरकार की ओर से जिस प्रकार उनके खिलाफ दुर्व्यवहार किया गया। लेकिन जैसे ही बिहार में आए होटल पनाश से लेकर कथा स्थल तक बिहारियों का जनसैलाब उमर गया। शास्त्री जी आश्चर्य रह गए। यह सब उनकी कल्पना से बाहर था। बाबा तुरंत समझ गए बिहार में जातिवाद की खेती भले किसी राजनीतिक स्तर पर की जा रही हो, लेकिन इस भीड़ में किसमें सामर्थ्य है तय करने की, कौन किस जाति का है?

सबकी बस एक ही जाति है, कि सब हिंदू हैं और सब हनुमानजी के भक्त हैं। सब सनातन के श्रद्धालु हैं। शास्त्री जी का उत्साह इतना बढ़ गया कि उन्होंने घोषणा कर दी, भारत में हिंदू राष्ट्र की ज्वाला बिहार से ही भभक गई है। जय हिन्दुराष्ट्र। जय सियाराम।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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