सारी बातों से ऊपर उठकर भारत ने ऋषि सुनक की रुचि का ख्याल क्यों रखा?
-विशाल जा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
पोस्ट-दर-पोस्ट जिस प्रकार से ऋषि सुनक की फोटो लगाकर उनको आशीष दिया जा रहा, एक बार फिर सनातन के मूल्यों से मन भावुक हो गया है। 100 साल भी नहीं हुए, औपनिवेशिक शक्ति ने जिस प्रकार से भारत को नाश करने की कोशिश की थी, जिसे समझने में अभी 75 वर्ष हो चुके हैं। न केवल कोशिश की बल्कि ऐसी व्यवस्थाएं कर गया, पार्टी और नेताओं को प्लांट करके, गांधी को तो ऐसा प्लांट किया संत के रूप में कि जिसमें पूरा भारतीय मानविकी जकड़ गया। हम आज तो भुगत ही रहे हैं, आगे भी भुगतते रहेंगे।
ऋषि सुनक इस औपनिवेशिक ताकत के अग्रज बनकर आए हैं, भारत आए हैं। सबसे पहले तो वे हमारे राष्ट्र अध्यक्ष पीएम मोदी के लिए एक काउंटरपार्ट हैं। लेकिन हमने क्या किया, सारी बातों से ऊपर उठकर हमने उनके रुचि का ख्याल रखा। उनकी आस्था का ख्याल रखा। उनका सम्मान करते हुए हम उन्हें मंदिर मंदिर ले जा रहे, उन्हें आशीर्वाद दिला रहे। एक राष्ट्र अध्यक्ष होने के नाते वे थोड़ा आशीर्वाद अपने राष्ट्र के लिए भी तो ले ही जा रहे होंगे। हम एक भारतीय होने के तौर पर भी उन्हें हर वाल हर स्टोरी शुभकामना दिए जा रहे हैं, सब कुछ थोड़ी देर के लिए दूर रखकर। यही मूल्य है हमारे सनातन का।
सबको मालूम है ब्रिटेन अभी तमाम आर्थिक सामाजिक संकट से गुजर रहा है। ऐसी स्थिति किसी की डिप्लोमेसी के लिए अवसर होता है। भारत में अब एक ऐसी सरकार है जो अपनी किसी भी प्रकार की डिप्लोमेसी को मजबूत करने का अवसर नहीं छोड़ती। तब पर भी हम ऋषि सुनक को उनके हक का पूरा आश्रय दे रहे हैं। बावजूद कि वे विभीषण जैसे शरणागत भी नहीं। भारत की झोली में यही मूल्य है, वसुधैव कुटुंबकम का। जिस तमाम उथल-पुथल की स्थिति में सुनक में ब्रिटेन की सत्ता संभाली, बौद्धिक जगत को भरोसा नहीं था कि वे अधिक दिनों तक शासन कर पाएंगे। लेकिन हमारी शुभकामना उन्हें जरूर सक्षम बनाए! नम: शिवाय!
साभार -विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)