पटियाला हिंसा के आरोपी खालिस्तानी गुट को राघव चड्ढा ने राजनीतिक दल क्यों करार दे दिया है ?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
अच्छा हुआ शिवसेना ने पंजाब इकाई अध्यक्ष हरीश सिंगला को पार्टी से निकाल दिया। अन्यथा बड़ी कन्फ्यूजन थी कि राष्ट्र धर्म से विमुख होकर चलने वाला दल शिवसेना अचानक से खालिस्तान का विरोधी कैसे हो गया। पंजाब शिवसेना प्रमुख योगराज शर्मा का कहना है कि हरीश सिंगला के निष्कासन का फैसला उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और अनिल देसाई के आदेश पर लिया गया है। उन लोगों को बड़ी निराशा हुई जो पंजाब इकाई के शिवसेना को समर्थन पर आ गए थे। हिंदुओं की हालात कितना दया का पात्र है। यह जानते हुए कि शिवसेना अब धर्मच्युत हो चुका है, एक छोटे से राष्ट्रवादी अभियान को लेकर भी आशान्वित हो गए थे।
बड़ी बात है कि राघव चड्ढा ने खालिस्तानी गुट को राजनीतिक दल करार दे दिया है। राघव चढ़ा ने बयान दिया है कि पटियाला हिंसा दो गुटों के बीच नहीं बल्कि दो दलों के बीच का है। मतलब साफ है कि खालिस्तान कॉल देने वाला पतवंत सिंह पन्नू अब आम आदमी पार्टी के राज में अघोषित राजनीतिक वैधता प्राप्त कर चुका है। इस संकेत को समझ कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब में खालिस्तान की प्रगति कहां तक हुई है।
हरीश सिंगला की तो गिरफ्तारी हो गई है लेकिन लंगर भवन से पत्थर चलाने वाले तथा सड़कों पर तलवार भांजने वाले कितने निहंग सिखों को गिरफ्तार किया गया? अब देखना कितना भयावह होगा कि खालिस्तान के निवेश से खड़ी हुई पंजाब इकाई आम आदमी पार्टी खालिस्तानियों के सामने कितना लाचार दिखेगी।
कल 29 अप्रैल को खालिस्तान दिवस पर कॉल डाला गया था। मान सरकार ने पटियाला के आईजी, एसएसपी और एसपी का तत्काल तबादला कर दिया है। खालिस्तानियों ने ऐलान किया था कि इन दफ्तरों पर खालिस्तान का झंडा लगाया जाएगा। कायदे से सरकार की कार्रवाई इन खालिस्तान वालों पर होनी चाहिए थी। लेकिन कार्रवाई दफ्तर पर हुई। ठीक वैसे ही जैसे हरीश सिंगला पर हुई।
हरीश सिंगला का पंजाब की राजनीति में एक नया उभार कहा जा सकता है। क्योंकि सीधे सीधे तौर पर खालिस्तान विरोध का आवाहन अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं किया था। किंतु अब जरूरी है। हरीश सिंगला को समर्थन।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)