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सियासत रिश्वत को चंदा क्यो मान लेती है?

'राही' के व्यंग्य-बाण (लघु)

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:
बल्ली सिंह चीमा का एक शेर है-
*सियासत इस तरह रिश्वत को चंदा मान लेती है,*
*कि जैसे माँ बुरे बेटे को अच्छा मान लेती है।*
रिश्वत लेना या देना दोनों अपराध है। चंदा लेने-देने की कोई मनाही नहीं है। निर्वाचन आयोग भी इस मामले में काफ़ी उदार है। अभी-अभी निर्वाचन आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि राजनीतिक दल नगद 2 हजार और चेक से 20 करोड़ चंदा ही ले सकेंगे।
निर्वाचन आयोग चेक से 1-2 लाख की राशि भी तय कर सकता था लेकिन आयोग भली-भाँति जानता है कि देश विकसित हो न हो, देश की जनता अब विकसित हो चुकी है। सियासी दलों को खुलकर चंदा दे सकती है। लाख दो लाख से क्या होगा ? सियासी दल कितना करते हैं देश के लिए, बिना किसी स्वार्थ के। उन्हें तो चंदा मिलना ही चाहिए।

धर्मशाला, गौशाला, कुँआ, बावड़ी बनवाकर पैसे बर्बाद क्यों करना ? सीधे-सीधे सरकारों को ही चंदा दिया जाए। सरकारी सब संभाल लेती है।

सियासी दलों का रिश्वत से कोई लेना देना नहीं है। उनके शब्दकोश में यह शब्द है ही नहीं। सरकारें तो रिश्वत लेने-देने वालों की धरपकड़ में लगी रहती हैं। सरकारें ठेका, कोटा ,परमिट, लाइसेंस, लीज पट्टा आदि योग्यता के आधार पर ही देती है। आपने किसी फॉर्म में पढ़ा है क्या- आपके द्वारा दी जाने वाली चंदे की राशि क्या है ? इन सब अधिकारों का चंदे से कोई लेना देना नहीं है।
धार्मिक आयोजनों में चंदा देने वालों के लिए प्रसाद का प्रावधान रहता है, सरकार धर्मनिरपेक्ष है चंदा लेकर किसी को प्रसाद देना सरकारों की घोषित कार्यप्रणाली में शामिल नहीं है। अघोषित कुछ हो तो मुझे पता नहीं।
सियासी दलों को 2 करोड़ चंदा देने वाले के राष्ट्रप्रेम को नमन है। हे भामाशाह आप उत्तरोत्तर प्रगति करें। सरकारें आप पर टिकी हैं, आप सरकार पर नहीं। आप से ही नियम हैं, आपके लिए कोई नियम नहीं। आपका सरकार की कुटिया में सदैव स्वागत है। आप सामने से मत आइए, सामने मांगने वालों की भीड़ है। आपके लिए अलग से द्वार की व्यवस्था है। यह द्वार 24 घंटे खुला रहता है। बिना घंटी बजाए चेक हाथ में लिए आप तो बस आ जाइए। यहाँ हल्के स्वर में भी आपको यह गीत सुनाई देगा-
बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है।

..राजेश जैन ‘राही’, रायपुर

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