प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ अर्नब गोस्वामी और सुधीर चौधरी को ही अपना साक्षात्कार क्यों दिया?
-कुमार एस की कलम से-
Positive India:Kumar S:
यदि बात करें, प्राइवेट चैनल को साक्षात्कार देने की तो…. अपने प्रथम पांच वर्ष के कार्यकाल के अंत में pm मोदीजी ने सबसे पहले (और सम्भवतः एक मात्र) सुधीर चौधरी को अपना साक्षात्कार दिया।
अपने दूसरे कार्यकाल का पहला कथन रिपब्लिक भारत के अर्नब गोस्वामी के साथ पूरा किया।
आज विदेशी चैनलों की भीड़ में #ZeeNews और #repblicbharat चट्टान की तरह स्थापित हो गए हैं।
यह भी एक रणनीति होती है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस बात की कभी परवाह नहीं की कि उनके विरोधी उनकी स्थापनाओं को मान्यता दें।
राष्ट्रवादी खेमे के वे सशक्त नेता हैं जिन्हें वामपंथी, आयातित, लुटियंस और चरनचाटु पत्रकारों से स्वीकृति का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
उनके प्रत्येक कर्म के संदेश विशिष्ट होते हैं।
इन 10 वर्षों में बहुत सारे पत्रकार जिनकी कभी तूती बोलती थी, आज यूट्यूब पर श्रोताओं को तरस रहे हैं। ऐसे बहुत सारे बड़े बड़े वकील, जिनमें अधिकांश कांग्रेस के नेता हैं, जिन्होंने न्याय व्यवस्था को रखैल जैसा बना लिया था आज स्वयं की गिरफ्तारी के संकट से जूझ रहे हैं।
ऐसे अनेक दाऊदवुड के कलाकार जो कला के नाम पर माफिया और रंडीखाना चला रहे थे, आज पहचान के संकट में फंस चुके हैं।
अभी बहुत सारे मिथक टूटेंगे, कई आश्चर्य देखने को मिलेंगे।
क्योंकि परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् का युग आरम्भ हो चुका है।
भावी दो माह तो केवल स्वर्गीय रविन्द्र जैन के शब्दों में “यही रात अंतिम यही रात भारी” की प्रतीक्षा मात्र है।
#कुमारsचरित
साभार: कुमार एस-(ये लेखक के अपने विचार हैं)