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अगर हिंदुओ ने खुद को मजबूत नहीं बनाया तो उनकी हालत भी सीरिया,यूक्रेन या अफगानिस्तान जैसी क्यो हो जाएगी ?

-अजीत सिंह की कलम से-

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Positive India:Ajit Singh:
पोस्ट बड़ी होने के साथ सामयिक और सार्थक है..धैर्य हो तो पढ़ियेगा जरूर!
हालांकि पिछले कई वर्षों से मेरे जैसे कई कलम को हथियार बना कर सनातन राष्ट्रवादियों ने भगवा रक्तवंशियों को झझकोरने मे कोई कसर नही छोड़ी है…सार्थक परिणाम भी सामने है…लेकिन अभी भी सबसे बड़ी कमी यह समझ मे आती है कि अपनी क्षणिक भावुकता और नासमझी के कारण आम देशभक्त भारतीय जो सनातन,मोदी और राष्ट्र का प्रबल समर्थक तो है लेकिन वो आज भी कुटिल विरोधियों के कूटनीतिक प्रोपेगैन्डा का शिकार हो जाता है…..जाने यह वर्ग कब धैर्यवान और समझदार होगा….क्योंकि यही वर्ग विरोधियों का आसान शिकार बनकर उनके ऐजेंडे को परोक्ष रूप से बल दे देता है…!!

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बहरहाल….यह लेख सम्पूर्ण सनातन समाज के साथ साथ उदार या कहें सूतिये सेकुलर हिंदुओं के लिए है…कि अब भी एक नही हुये…और खुद को मजबूत नहीं बनाया तो आपकी हालत भी सीरिया,यूक्रेन या अफगानिस्तान जैसी होगी..क्योंकि इतने के बाद भी अंदर से बाहर तक देश के दुश्मन, टुकड़े टुकड़े गैंग, कट्टर जिहादी, अर्बन नक्सली, तथाकथित सेक्युलर गिरोह देश को कमजोर करने मे जुटे हैं..जिन्हे वो अभी भी पहचान नही पा रहे हैं…..बारम्बार इसीलिये कह रहा हूं कि सनातन धर्म को मजबूत कीजिए…राष्ट्र स्वयं शक्तिशाली हो जायेगा…अपनी एकता इसी तरह बनाए और बढ़ाते रखिए…क्योंकि यहां के बाद आप के पास विस्थापन का कोई विकल्प देश नही है…आपके पास केवल एक राष्ट्र है..आपकी अपनी मातृभूमि..भारत………!!!

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बहरहाल यह सब पढ़ कर भी न चेते तो अपना भविष्य स्वयं समझिये…मै यह इसलिये कह रहा हूं कि उनके मजहब के पास बेहद सधा हुआ और संगठित सिंडिकेट ऊपर से नीचे तक है…पश्चिम से उठी आवाज को बस दिल्ली की शाही मस्जिद तक पहुंचने की देर रहती है…फिर तो मिनटों मे वो आवाज देश के शहरों से लेकर दूर सुदूर के गांवो तक पहुंच जाती है…यह होता है सिंडिकेट जनित व्यवस्था….!

अब जरा अपनी तरफ ध्यान दीजिये…है कोई ऐसी व्यवस्था…नही ना…!

यह तो धन्य मनाइये आधुनिक तकनीक की,जिसने इंटरनेट पैदा किया…जिसके गर्भ से सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म पैदा हुये….और सदियों से कुचले गये सनातन को भी अवसर मिला उन प्लेटफार्मों का सदुपयोग करने का……….जिसका परिणाम आपको 2014 से दिखाई दे रहा है कि किस तरह आपने विरोधियों का मर्दन करते हुये प्रतिशोध लिया है….सोशल मीडिया के माध्यम से उठी आपकी बुलंद आवाज की गूंज मे उनके पांच वक्त शोर मचाने वाले अहंकार का घमंड चूर हो गया है..थरथरा रहे हैं…

लेकिन!
आपको समझना चाहिये उनकी रणनीति…और अपनी कमजोरी!

दरअसल हिंदुओं के साथ समस्या यह है कि उनकी सोच दूरगामी नही होती है…वो दो बार मोदी और दो बार योगी को विजयी बनाने के बाद उन दोनो पर वोट देने का अपना एहसान लादने के साथ अपने भविष्य के कर्तव्यों की उपेक्षा करके फिर से आलू,प्याज,तेल,पेट्रोल,डीजल के दामो मे खुद को लपेट कर पुन: उसी पुरातन शीतनिद्रा मे चला जाता है…इसीलिये तो हिंदू दीर्घकालीन रणनीति पर नही चल पाता है…जैसे हरे टिड्डे चलते हैं!!

जैसे अब 2024 में फिर से मोदी को सत्ता में लाना ही हिंदुओं का लक्ष्य होना चाहिये…. और वे इसके बाद वो संतुष्ट हैं कि नही यह अभी नही,वो बाद मे सोचेंगे……जबकि मदरसे और मिशनरियां बेहद दूरगामी स्ट्रटेजी पर काम करती रहती हैं… अपनी रणनीति को असल जामा पहनाने के रास्ते खोजती रहती ही नही हैं…बल्कि निरंतर जुटी रहती हैं….उनका धर्मांतरण का एजेंडा मोदी,योगी,विस्वसर्मा जैसे नायको के काल मे धीमा हो सकता है….लेकिन उन्हे अंतत: भरोसा है कि विस्मरण का शिकार हिंदू जल्द ही इन सब से ऊब जायेगा..या भूल जायेगा………या फिर जातिवाद मे…या क्षेत्रवाद मे बंट जायेगा………..चूंकि हिंदुओं का मध्यकाल से लेकर वर्तमान कालखंड का इतिहास ही उनके इसी निजी स्वभाव या कहें स्वार्थ के कारण सहिष्णुता का रहा है…बस इसीलिये मदरसो और मिशनरी ने अभी भी ढ़ाल तलवार नही रखी हैं क्योंकि उन्हे भरोसा है कि हिदू वादी सरकार हमेशा के लिए नहीं रहेगी..कभी तो हिंदू गलती करना शुरू करेंगे…हिंदुओ को गलती करने पर मजबूर करने के लिये ही मिशनरी और मदरसे के एजेंट बन चुके भांड मीडिया के पत्तलकार और तुष्टीकरण करने वाली पार्टियां सक्रिय होकर हिंदू जनमानस को जाति,क्षेत्र और भाषा के नाम पर बहकाने मे जुटी है…इसी क्रम मे वो हिंदू त्योहारों पर पत्थरबाजी करके,दंगे करके अपनी ताकत और हिंदुओं की प्रतिक्रिया की शक्ति को समय समय पर आजमाते रहते हैं….रामनवमी की शोभायात्रा पर पत्थरबाजी भी संयोग नही है वरन् सोचा समझा प्रयोग है…जिसके पीछे जयचंद सरीखे सत्ता के लालची हिंदू नामधारी पॉलिटिकल गिद्ध हैं….!

वैसे तो सम्पूर्ण विश्व मे सनातन ही था….लेकिन पिछले हजार मे कहूं तो पर्शिया से लेकर कम्बोडिया तक कभी हिंदू ही थे…. कभी सोचा कि इन जगहों में अब हिंदू धर्म और हिंदू कहाँ है…कहा गये?????

असल मे उन जगहों के हिंदुओं को भी हमेशा लगता रहा कि..हम तो बहुसंख्यक हैं हमें कौन माई का लाल कैसे हटायेगा???

ऊपर से इन देशों के हिंदुओं ने भी सोचा “हर धर्म एक ही है। मानवता सबसे बड़ा धर्म है।”

और अब?
अब उन्ही हिंदुओं के धर्मांतरित हो चुके मुस्लिम वंशज गर्व से “हल्लाहूहकबर” चिल्लाते ही नही हैं वरन् वे ही अब मानवता को सबसे बड़ा धर्म नहीं मानते हैं…और इतना ही नही…वे धर्मांतरित होने से पहले के अपने पुरखों के धर्म के सबसे बड़े शत्रु साबित हो रहे हैं…हो सकता है कि सच्चाई का सामना न कर पाने से उपजी कुंठा के कारण वो मक्का और मदीने के मुसलमानो से बड़ा मुसलमान दिखाने के चक्कर मे क्रूरता,बर्बरता और मक्कारी की पराकाष्ठा पार करने मे आत्मसंतुष्टि पाते हों…जैसे किन्नर…सुहागिनो से ज्यादा सज कर अपनी कुंठा शांत करते हैं….!!

अंत मे एक बात तो सनातनधर्मियों को बहुत अच्छी तरह से समझ लेना चाहिये कि भारत का यह यह कालखंड पाषाण कालीन सोच और सनातन के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हो रहे सभ्यता और अस्तित्व के बीच चल रहे संघर्ष का है….यहां एक बात और जान लीजिये कि ऐसे युद्ध हमेशा लड़े जाते रहे हैं और तब तक लड़े जाते रहेंगे….जब तक दूसरे का अस्तित्व रहेगा…यहां अधीर हिंदुओ को समझना होगा और जानना होगा कि इस तरह के संग्राम तत्काल परिणाम दायक नही होते है बल्कि लम्बी अवधि तक चलने के बाद ही उसका निर्णय सामने आता है….आज भारत मे यही संग्राम चल रहा है….एक तरफ जहां सनातन अपनी सभ्यता,संस्कृति और संस्कारो को जीवित रखने के लिये लड़ रहा है….वहीं हरे टिड्डों का मजहब,जो लगभग पूरी दुनिया को जीतने के बाद सनातन से हजार साल से पराजित होने की कुंठा को दूर करने के लिये अब खुल कर देश मे बारूद का ढ़ेर लगाने के बाद भी मक्कारी के साथ विक्टिम कार्ड खेलने मे जुटा है….!

कभी एक सभ्यता के रूप में सनातन धर्म सबसे अधिक जागरूक था…तब हर हिंदू अपने धर्म को बचाने के लिए मनसा,वाचा,कर्मणा लड़ता था…तभी सनातन अभी तक जीवित है…लेकिन अब जातिवाद,क्षेत्रवाद और भाषावाद मे बंटे हिंदुओं मे वह चेतना,चैतन्यता और धर्महितार्थ आत्मा खो गई है…इसलिए हिंदू धर्म पर इतने आघात करने की औकात दो कौड़ी के मतान्धो मे पैदा होती है!!

आज अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए हिंदू सड़कों पर नहीं आते हैं……बल्कि सोचते हैं कि उनकी लड़ाई सरकार,बीजेपी,संघ,बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठन लड़े…क्योंकि उन्होने उनको वोट जो दिया है….यही कर्तव्य का अंत है……..जबकि मुस्लिम और ईसाई जरा जरा सी बात पर ऐसा करने मे रत्ती भर संकोच नही करते हैं…इसीलिए उन्हे उनके सारे सही गलत अधिकार मिल जाते हैं….उनके साथ किसी ने भी अन्याय करने की हिम्मत नहीं की……यहाँ तक कि हिन्दू भी अपनी मूर्खतापूर्ण गंगा जमुनी तहजीब वाली फर्जी उदारता के कारण ही उनके लिए सबसे अधिक आवाज़ उठाते ही नही हैं…बल्कि अपने हित के लिये काम करने वाली मोदी,योगी जैसी सरकारो का विरोध करते हैं….यही सब कारण है कि हिंदुओ का अधिकार धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है!

आजादी के बाद से ही तुष्टीकरण को समर्थन देने वाली सत्ताधारी पार्टियों के बल पर मुसलमानों ने अपनी जनसंख्या बढ़ा कर,बांग्लादेशियों,रोहिंग्याओ की घुसपैठ करा कर वोटबैंक का एक नया और बड़ा समीकरण बना लिया है,जिस कारण ही राजनैतिक पार्टियां उनकी पिछलग्गू बनी घूमती रहती है….इन्ही पार्टियों के नेता किसी को भी उनके साथ जरा सी बात होने पर आसमान सर पर उठा लेते हैं…!!!

दरअसल मुलमान लंबी लड़ाई के लिये सोचता है….इसीलिये वो अपने बच्चों को बकरीद जैसे धार्मिक कट्टरवाद को त्योहार का नाम देकर उसके खूनी हलाल जैसे बर्बर कारनामो से गुजारते हैं ताकि वो मजहबी कट्टरता उनके दिल दिमाग मे इस कदर बैठ जाये कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के बाद भी यह मजहबी लड़ाई जारी रहे……..लेकिन वहीं दूसरी तरफ हिंदू अपने धर्म,परम्पराओं और उसकी मान्यताओं की परवाह तक नहीं करते हैं….हिंदुओं की यही सब वो कमिया है….जिस कारण न केवल मुसलमानो का मनोबल बढ़ता है वरन् उनकी सोच भी और पुख्ता होती है कि आज नही तो कल….यहां भी हजार साल बाद ही सही लेकिन इस्लाम ही राज करेगा।

फिलहाल बंधुओं….अपनी बात को समाप्त करने से पहले बस इतना कहना चाहता हूं कि अभी भी समय है…एकत्र होना…एकजुट होना….संगठित होना सीख लीजिये…क्योंकि आसन्न भविष्य आपकी बहुत..बहुत ही बड़ी परीक्षा लेने जा रहा है…जिसे आप समझ नही पा रहें है…बहरहाल आपसे निवेदन है कि जातिवाद से ऊपर उठ कर,संगठित करने वाले एक मूलमंत्र को क्यों नही समझ रहें है कि हम सभी सनातनी एक ही रक्तवंशीय होने के साथ आपस मे भाई हैं…और भारत हमारे लिये कोई भूमि का टुकड़ा नही है वरन् वो हमारी भारत माता है और हम सभी उसकी संतान हैं….!

“हिन्दव: सोदरा: सर्वे,
न हिन्दू पतितो भवेत्!
मम दीक्षा हिंदू रक्षा,
मम मंत्र: समानता!!”

#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh

साभार:अजीत सिंह-(ये लेखक के अपने विचार है)

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