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पाकिस्तान ने क्यूं कबूला कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India: Rajkamal Goswami:
पाक अधिकृत कश्मीर एक फ़ॉरेन लैंड है, पाकिस्तानी एटॉर्नी जनरल
अहमद फ़रहाद पाकिस्तानी क़ब्ज़े वाले कश्मीर के एक जुझारू शायर हैं और इस्लामाबाद में रहते हैं । उनकी एक नज़्म पिछले दिनों बड़ी मक़बूल हुई जिसका पहला मिसरा ही बड़ा विद्रोही है, “ ये अपनी मर्ज़ी से सोचता है इसे उठा लो”

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हुकूमत ने इनकी मर्ज़ी का एहतराम करते हुए इनके घर से इन्हें उठा लिया और फिर ग़ायब कर दिया । परिवार वाले हाईकोर्ट चले गये । हाईकोर्ट ने सख़्त कार्रवाई करते हुए हुकूमत से अहमद फ़रहाद को अदालत में पेश करने को कहा और ज़िम्मेदार अफ़सरों को भी तलब किया ।

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हुकूमत ने सरगर्मी दिखाते हुए अहमद फ़रहाद को पाक अधिकृत कश्मीर में किसी नामालूम जगह से बरामद किया और कश्मीर पुलिस के हवाले कर दिया । मगर इस्लामाबाद हाईकोर्ट के सामने सरकार के हवाले से यह कर इन्कार कर दिया कि कश्मीर एक फ़ॉरेन लैंड है इसलिए अहमद फ़रहाद को अदालत के सामने पेश करना मुमकिन नहीं है । यह बात पाकिस्तान के ऐडिनल अटॉर्नी जनरल की तरफ़ से बाक़ायदा हाईकोर्ट के सामने कही गई । मुक़दमा अभी जारी है ।

मगर बात यह है कि सच्चाई तो सर पर चढ़ कर बोलती है । भारत के पास तो कश्मीर के राजा द्वारा हस्ताक्षरित विलय पत्र है लेकिन पाकिस्तान के पास मकबूज़ा कश्मीर को लेकर कोई ऐसा काग़ज़ नहीं है जिससे वह कश्मीर को अपना हिस्सा कह सके । जबसे कश्मीर को लेकर झगड़ा फँसा है तभी से पाकिस्तान सिर्फ़ कश्मीर में जनमत संग्रह की ज़िद पकड़ के बैठा है । उसकी हिम्मत यह भी नहीं है कि अपने कब्जे वाले कश्मीर में ही जनमत संग्रह करवा लेता क्योंकि जनमत संग्रह तो संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में होना था और उससे पहले पाकिस्तानी सेना को पूरा कश्मीर भारत के हवाले करना था । सुरक्षा परिषद ने ऐसा ही प्रस्ताव पास किया था । लिहाज़ा आज तक पाकिस्तान कश्मीर के अपने कब्जे वाले हिस्से को क़ानूनी तौर पर अपने मुल्क का हिस्सा नहीं बना पाया है ।

भाई काग़ज़ तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भी दिखाने पड़ेंगे । बिना काग़ज़ात के तो न सीएए में कुछ हो सकता है न कश्मीर में । कश्मीर के काग़ज़ तो भारत के पास हैं ।

हाईकोर्ट के समक्ष सरकार की इस स्वीकारोक्ति के दूरगामी परिणाम होंगे । एक तो कश्मीरी अवाम अपने को ठगा सा महसूस कर रही है । गोया कोई बाप अपने जवान बेटे से कह दे तू तो हमारा बेटा ही नहीं है । मोसे कहत मोल को लीन्हो तू जसुमति कब जायो । दूसरी तरफ़ संयुक्त राष्ट्र से लेकर इस्लामी मुल्कों के सामने तक कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का पक्ष एकदम धराशायी हो जाएगा ।

अब जब पाकिस्तान ने कश्मीर को विदेश मान ही लिया है तो भारत को अपने बिछड़े हिस्से को फ़ौरन मदद पहुँचानी ही पड़ेगी । यह काम पहली फ़ुरसत में करना होगा ।

हम ज़रा अपनी नई सरकार बना लें फिर पाकिस्तान से निपटते हैं ।

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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