Positive India:Vishal Jha:
मित्र ने मुझसे पूछा नीतीश कुमार(Nitish Kumar) प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकते?
पक्ष में तर्क भी है। मोदी जी और नीतीश जी की उम्र लगभग बराबर है। दोनों ही 71-71 वर्ष के हैं। मोदी जी 2001 से गुजरात के मुख्यमंत्री जब बने तो लगातार मुख्यमंत्री बने रहे। कोई उन्हें हटा न पाया। सीएम नीतीश कुमार भी 2005 में जब मुख्यमंत्री, भले मिली जुली बने, भारत के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे शायद, जो लगातार आठवीं बार शपथ ले चुके हैं। मिलाजुला कर चार पंचवर्षीय पूरा कर ही लेंगे।
2001 में सत्ता में आते ही मोदी जी ने गुजरात का कायापलट कर दिया। ऐसा कि आज दिल्ली में रहते हुए भी जनता उनकी ही बात मान रही है। स्वयं नीतीश जी जब 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने 5 घंटे के सड़क की दूरी घटकर 1 घंटे हो गई। झोपडपट्टी और पेड़ के नीचे चलने वाले स्कूल बड़े-बड़े बिल्डिंगों में बदल गए। अपहरण और फिरौती उद्योग त्राहिमाम करने लगा। भारत में कोई पहला सीएम सुशासन बाबू के नाम से जाना जाने लगा।
मोदी जी 2001 से लेकर 2022 तक आज 21 वर्ष हो गए, एक दिन भी उन्होंने अपने पहले दिन वाली ताजगी को नहीं खोया। और नीतीश जी यही चूक गए। दो पंचवर्षीय मुश्किल से बीते होंगे कि नीतीश जी का संस्कार मंद पड़ने लगा। 90 के दशक में जो बिहार उद्योग धंधा के नाम पर बंद हो चुका था, तीसरा पंचवर्षीय इस क्षेत्र में कुछ करने की बारी थी, लेकिन उन्होंने पिछले दो पंचवर्षीय शासन के नाम पर ही लगातार सत्ता मे बनते चले गए।कुछ भी नहीं किया। मोदी जी ने उद्योग धंधों की झड़ी लगा दी। गुजरात भारत के टॉप लिस्ट स्टेट्स में आ गया।
सबसे बड़ी बात कि नीतीश जी के प्रदेश का मजदूर उस दिन भी गुजरात जाकर मजदूरी करता था, और आज भी जाकर कर रहा है। न केवल गुजरात बल्कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, यहां तक कि कोलकाता और दक्षिण राज्य भी। ठीक उतना ही सत्य है कि बाकी राज्यों के एक भी मजदूर को बिहार आने का कोई मतलब नहीं बनता।
मित्र से मैंने कहा कि मजदूर की पहचान कायम करने वाला बिहार के नेता को इस देश का कोई भी राज्य स्वीकार नहीं करेगा। बिहारी शब्द ही पर्याप्त है नीतीश जी जैसों को देश में अस्वीकार कर देने के लिए। क्योंकि नीतीश जी ने बिहारी शब्द की प्रतिष्ठा वापस कराने के लिए कुछ भी नहीं किया। पिछले 30 वर्षों से बिहार ने भारत भर में मजदूर देने के सिवाय और दिया क्या है? यादव परिवार 15 साल मुख्यमंत्री रहा, आज भी अपने इलाज के लिए लालू जी को दिल्ली जाना पड़ता है। बिहार के लिए लज्जा की बात है।
मोदी जहां गुजरात को न केवल देश भर में बल्कि विदेशों में पहचान दिलाई। आज उसी वाइब्रेंट मॉडल के आधार पर वाइब्रेंट इंडिया का स्ट्रक्चर कर रहे हैं। ऐसे पुरुषार्थ की कौन मुकाबला कर सकता है?
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)