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भारत के विरूध नापाक इरादे वाले नसीरुद्दीन का क्या किया जाए?

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh: नसीर साहब भी काफी व्यथित है तो अच्छा होता एक और मुहाजिर को शरण दी जाती तो दाउद को भी कम से कम, मेरा विचार है एक मित्र मिल जाता । इस विषय को यही खत्म करने का था । पर बालर पी एम भी नसीर के तरफ से बैटिंग के लिए बगैर बुलाये आ गए । वैसे भी ये हमारे देश का आंतरिक मामला है पर फिर भी प्रधानमंत्री इमरान इसे अंतरराष्ट्रीय करने मे तुले हुए है । चलो अच्छा है आप के ख्यालात नजीर से मिलते है और महोदय भी काफी व्यथित है तो अच्छा होता एक और मुहाजिर को शरण दी जाती तो दाउद को भी कम से कम साथ हो जाता । एक बार नसरुद्दीन शाह से उनके साथ और भी कोई प्रताड़ित शख्स की लिस्ट हो तो एक साथ ही इनकी नागरिकता यहाँ से खत्म कर वही दे दी जाती तो सबके लिए सुविधाजनक हो जाता । पहले इमरान खान साहब पहले इनके मुहाजिर का टैग निकाल कर ही इस देश से बात करने की जुर्रत करो ? जो देश सत्तर साल के बाद भी भेदभाव कर रहा है वो हमारे ऊपर आरोप लगा रहे है । वो तो मौके का फायदा उठायेंगे ही जब हमारा सिक्का ही खोटा है ? पहले अपने गिरेबान मे ही झाक लो इमरान साहब । आपके देश मे हिंदूओ पंजाबीयो, सिंधीयो, ईसाई की बात तो छोड़ो;आपके यहा तो शिया समुदाय तक सुरक्षित नही है । कितनी बार उनके धर्म स्थलो मे हमले हुए । वही परिस्थिति कमोबेश अहमदीयो की है । बंगालीयो को तो आप लोग अपना नागरिक ही नही समझते थे। क्या आपके नाक के नीचे बांग्लादेश नही बन गया ? क्या बांग्लादेश बनने के पहले वहा लूट और महिलाओ के साथ बलात्कार एक आम बात नही थी । यही हालात पख्तून की है । सैनिको के साये मे वो आज भी अपने स्वतंत्र देश की मांग मे अड़े हुए है । इसलिए यूनो मुख्यालय मे कितने बार वहाँ प्रदर्शन कर चुके है । यही हाल सिंध प्रांत का है । आतंकवाद की फैक्ट्री वाले देश ये उपदेश नही दे । जो देश कंगाली के हालात मे खड़ा है । जिस देश के नागरिक का बाहर जाने के बाद जिल्लत के साथ व्यवहार किया जाता है वहा की हीरोइने रोती है । जहा इनको खैरात मिल नही रही है उन्हे नसीर साहब ने डूबते को तिनके का सहारा दे दिया है । जब यूनो ने अल्पसंख्यक के मुद्दे पर फटकार लगाई है । इसके बाद भी नसीर को यहां से तकलीफ है तो नसीर साहब वैसे ही समाचारो के अनुसार पाक मे वैसे ही गधे की संख्या बढ़ रही है एक और वहा बढ़ जायेगी । वैसे भी ये शख्स अब इस देश के नजरो से गिर गया है अब ये यहा रहे या न रहे हमे कोई मतलब नही है । इस आदमी को सबक सिखाना है तो इसका और इसके फिल्मो का बहिष्कार कर सबक सिखाना चाहिए । यही समस्या का उत्तर होना चाहिए ।

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लेखक: डा.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ(ये लेखक के अपने विचार है)

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