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कर्नाटक में यूनिफार्म जैसे साधारण मसले पर भी संविधान और कानून मानने को राजी क्यों नहीं है मुस्लिम सांप्रदायिक ताकते ?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
क्या आपको याद है कभी न्यायालय के डिसीजन के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुआ हो? अगर नहीं तो आज कर्नाटक की ख़बर लीजिए। लोग पहले हास्य-व्यंग्य में कह देते थे कि जब भारत में मजहबी ताकतें बहुसंख्यक हो जाएंगी, तो सारा संविधान, कानून, अदालत सब खारिज हो जाएगा और शरिया लागू हो जाएगा।

अदालत के निर्णय के खिलाफ सड़कों पर आज प्रदर्शन आखिरकार और क्या है? जिस अदालत के निर्णय के खिलाफ आम जनता से लेकर बड़े से बड़ा नेता तक कभी किसी ने टिप्पणी नहीं की। क्योंकि इसे अदालत का अवमानना माना जाता है। आज सड़कों पर पूरा एक संप्रदाय द्वारा निकलकर अदालत के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन करना अवमानना नहीं तो और क्या है?

क्या ऐसा तो नहीं कि एक व्यक्ति द्वारा किया गया अवमानना, अवमानना की श्रेणी में आएगा, लेकिन पूरा एक संप्रदाय यदि सड़कों पर निकल कर अवमानना करे तो यह लेजिटीमेटेड होगा? एक ऐसी संप्रदायिक ताकत जिसने अपनी एकता को लेकर इतना अहंकार पाल रखा है कि कर्नाटक के विद्यालय में यूनिफार्म जैसे साधारण मसले पर भी संविधान और कानून मानने को राजी नहीं है।

तनिक सोच कर देखिए भारत का इतिहास इतना क्रूर क्यों रहा और भविष्य कैसा होगा?

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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