मोदी ने अर्बन नक्सल शब्द के साथ क्यो जोड़ा गन वाला नक्सलिज्म और पेन वाला नक्सलिज्म ?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
टाइम्स नाउ पत्रकार राहुल शिवशंकर से लेकर अर्नब गोस्वामी तक तमाम अंग्रेजी मीडिया, द वायर के फर्जी मेटा स्टोरी के उजागर पर दो दिनों से कवरेज कर रहा है। हिंदी पत्रकारिता फिलहाल ऐसी साजिशों के खंडन तक नहीं पहुंच पा रहा।
चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए आखिरकार मोदी जी ने भी आज द वायर वाली ऐसी फ्रॉड जर्नलिज्म पर बड़ा स्पष्ट संकेत किया है। मोदी जी ने अर्बन नक्सल(Urban Naxalism)शब्द के बाद दो नया शब्द जर्नलिज्म को आज दिया है- गन वाला नक्सलिज्म(Gun Naxalism) और पेन वाला नक्सलिज्म(Pen Naxalism)
यह बड़ी बात है कि राष्ट्रीय स्तर का कोई नेता नैरिटिव बिल्ड करने वालों पर सीधे-सीधे न केवल आघात करता है, बल्कि स्पष्ट कहता है कि- ऐसे इंटेलेक्चुअल नक्सली बड़े सात्विक चेहरे के साथ होते हैं, कायदे कानून की ही बातें करते हैं, लेकिन उनके काम बड़े विपरीत होते हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें समर्थन भी मिल जाता है।
मोदी जी का यह तमाम बयान लुटियंस मीडिया लॉबी के खिलाफ एक खुला बयान है। वायर एक्सपोज हैशटैग लगाकर अरनव डिबेट कर रहे हैं। लेकिन द वायर के हर स्टोरी को कैच करके प्राइमटाइम करने वाला एनडीटीवी मीडिया नेटवर्क, इस पर बिल्कुल चुप है। द वायर पूरी तरह से बैकफुट पर है। पूछने कोई जवाब नहीं दे रहा। डेवलपमेंट यह है कि अमित मालवीय अबकी बार स्वयं द वायर पर एफआईआर करवाने वाले हैं।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)