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वामपंथ ईमानदारों और मेहनतकश लोगों के खून पसीने पर पलने वाला रोग क्यूं है

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Positive India:15 October 2020:
दुनिया के किसी भी देश में “गरीबी हटाओ” योजना के तहत जो-जो भी, “जैसी-जैसी” भी मुफ्तखोरी और “भिखमंगा बनाओ” स्कीमें चलती हैं… उसके पीछे कोई न कोई वामपंथी दिमाग जरूर होता है…
यह वामपंथी दिमाग, अच्छे-खासे चलते देशों के हाथ में कटोरा थमाने की ताकत रखता है… (जैसे वेनेजुएला)… वामपंथ और वामपंथी लगातार, हमेशा, सदैव केवल इतना ही कहता रहता है कि — “गरीबी मिटाना हो, तो मुफ्त खैरात बाँटों, फ़ोकट में राशन दो…” (अमर्त्य सेन और अभिजीत बैनर्जी)…

यह शातिर वामपंथी दिमाग कभी भी यह नहीं कहेगा कि उद्योग लगाओ.. जनता की स्किल बढ़ाओ… लोगों को काम पर लगाओ.. मेहनत से पैसा कमाने दो… अगर कोई उद्योग चल रहे हैं, तो ये उसे बन्द करवाने के लिए “ऊँचे-ऊंचे फैंसी” शब्दों का उपयोग करके सरकार पर दबाव डालते हुए ऐसे क़ानून बनवा देंगे कि वे उद्योग (कालीन, चूड़ी, पीतल) बर्बाद हो जाएँ… फिर लो एक और नोबेल (कैलाश सत्यार्थी)…

यदि सरकारों ने वामपंथ की बताई हुई “हरामखोरी स्कीम्स” लागू नहीं कीं… तो फिर यही वामपंथी बदबूदार दिमाग, नक्सलियों के समर्थन में भी खड़ा हो जाएगा और उद्योगों, सड़कों, स्कूलों, पुलों को बम से उड़ाने का समर्थन भी कर देगा… (अरुंधती).
अतः नोबेल, मैगेसेसे, बुकर इत्यादि के नाम पर जो “पुरस्कारों की बारूदी सुरंग” बिछाई जाती है, उनसे सावधान रहना चाहिए..

कुल मिलाकर, “वामपंथ” एक कोढ़ है… जो हमेशा ईमानदारों और मेहनतकश लोगों के खून-पानी और पैसों पर पलने वाला रोग है..यह धीरे-धीरे मारता है !!

साभार: सुजीत तिवारी-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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