ज्योतिष पीठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने धीरेन्द्र शास्त्री जी का उपहास क्यो किया?-विशाल-
Positive India:Vishal Jha:
दुर्भाग्य है कि जहां जगतगुरु की प्रतिष्ठा प्राप्त शंकराचार्य जी की एक आवाज न केवल भारत में बल्कि भौगोलिक सीमा तोड़कर जगत भर में सुनी जानी चाहिए थी। स्वयं सनातन समाज के सभी लोग भी नहीं सुन पाते, शंकराचार्य जी को बयान दिए हुए आज 2 दिन हो गए हैं। बागेश्वर बाबा के विरोध में उन्होंने बयान दिया है, लेकिन कितने लोगों तक अब भी उनकी बात पहुंच पाई है?
मोहन भागवत कौन हैं? क्या किसी सनातन समाज की परंपरा से आते हैं? क्या उन्हें जगतगुरु का कोई पद मिला हुआ है? क्या देश की आम जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधित्व दिया है? बिल्कुल नहीं। मोहन भागवत एक स्वयंसेवी संस्था के प्रमुख मात्र हैं। लेकिन उनकी एक धीमी आवाज भी देशभर में सुनी जाती है। न केवल देशभर में बल्कि देश के बाहर की भी कान खड़ी रहती है। क्यों? स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जैसे संत इसके लिए अंततः सनातन समाजी को ही दोषी ठहराते हैं।
ज्योतिष पीठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी ने धीरेन्द्र शास्त्री जी का उपहास करते हुए एक प्रकार से चुनौती पेश की है। चुनौती ठीक वैसे जैसे श्याम मानव ने की हो। जगतगुरु सम्मान से प्रतिष्ठित शंकराचार्य का कार्य क्या आज इतना भर रह गया है कि वे अपने पीठ से बैठकर उपहास करें। यदि शास्त्री जी जैसे हनुमान भक्त के सनातन समाज में बड़ी स्वीकृति देखकर श्री अविमुक्तेश्वरानंद जैसे संत नर्वस हो उठे हैं, तो इसके लिए सनातन समाज के लोग और धीरेंद्र शास्त्री जैसे लोग क्या कर सकते हैं, उन्हें बताना चाहिए?
सनातन समाज के केंद्र में होते हुए भी शंकराचार्य पीठ यदि आज के वक्त में स्वयं सनातन समाज के लिए अनभिज्ञ सा है, अथवा प्रभावहीन है तो इसके लिए कौन उत्तरदाई है? शंकराचार्य पीठ को उपहास का पीठ किसने बनाया? श्री अविमुक्तेश्वरानंद जैसे संत इसकी जिम्मेवारी क्यों नहीं उठाते? क्या उनका काम केवल देश भर में जातिवाद का विष घोलकर हिंदू समाज को तोड़ने का रह गया है?
जिहाद और मिशन ने मिलकर सनातन समाज को कन्वर्जन जैसे तमाम हथकंडे द्वारा खोखला कर दिया है। संत अविमुक्तेश्वरानंद इस पर कभी क्यों नहीं बोलते? इसके लिए कभी क्यों कुछ नहीं करते? लेकिन जब स्वयं को हनुमान जी का साधारण भक्त बताने वाला कोई आचार्य हिंदू समाज में यह बड़ी जिम्मेदारी उठा रहा है, तो ये बड़े-बड़े तथाकथित जगतगुरु श्याम मानव बने घूम रहे हैं। संत अविमुक्तेश्वरानंद जी की ओर से हम सनातन समाजी आज बहुत शर्मिंदा हैं।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)