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जयलाल और लेले FIR क्यों नहीं दर्ज करा रहे.?

इस ड्रामे का सबसे रोचक पक्ष समझिए।

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जयलाल और लेले FIR क्यों नहीं दर्ज करा रहे.?
आप मित्रों को यह तथ्य चौंका नहीं रहा कि IMA का राष्ट्रीय अध्यक्ष जयलाल और उसका गुर्गा लेले 22 मई से लगातार धमकी दे रहा है कि अगर रामदेव ने अपना बयान वापस नहीं लिया, माफी नहीं मांगी तो जयलाल और लेले की जोड़ी रामदेव के खिलाफ पैंडेमिक एक्ट के तहत गम्भीर धाराओं में पुलिस केस दर्ज कराएगी। जयलाल और लेले की जोड़ी अपनी इस धमकी को देश के प्रधानमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री तक बाकायदा चिट्ठी लिखकर पहुंचा भी चुकी है। प्रेस विशेषकर न्यूजचैनलों पर अपनी धमकी को बार-बार लगातार दोहरा भी रही है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि 12 दिन बीत गए लेकिन इस जोड़ी ने ऐसी कोई FIR रामदेव के खिलाफ दर्ज नहीं करायी है। जबकि यह जोड़ी कोई अनपढ़ गंवार दिहाड़ी मजदूर की जोड़ी नहीं है। FIR भी उसे उस मुंबई में दर्ज करानी है जहां घोर भाजपा विरोधी सरकार है.?
रामदेव गैंग खुद ही कह रहा है कि जयलाल ईसाई मिशनरी का एजेंट है। उसके गुर्गे लेले के ऐसे ट्वीट और फेसबुक पोस्टों के सैकड़ों स्क्रीनशॉट वायरल हो रहे हैं जिनमें वो प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की आलोचना नहीं कर रहा बल्कि नंगई की सारी हदें पार कर के मोदी योगी के खिलाफ जहर उगल रहा है।
अतः जयलाल और लेले की जोड़ी रामदेव के खिलाफ FIR दर्ज क्यों नहीं करा रही.? इन सवालोँ का उत्तर दूं उससे पहले चौंकाने वाला एक अन्य तथ्य यह भी जान लीजिए कि रामदेव के खिलाफ पैंडेमिक एक्ट की गम्भीर धाराओं के तहत एक शिकायत 9 मई को ही दर्ज हो चुकी है। उस का वर्तमान विवाद से कोई संबंध नहीं है। वह शिकायत IMA की ही पंजाब स्टेट यूनिट के वाइस प्रेसिडेंट नवजोत सिंह दहिया ने रामदेव की एक अन्य करतूत के खिलाफ जालंधर में पुलिस कमिश्नर के पास दर्ज करायी है। उस वीडियो में रामदेव ऑक्सीजन की कमी से मर रहे, तड़प रहे मरीजों की खिल्ली मूर्खतापूर्ण ठहाकों के साथ उड़ा रहा है, उन मृतकों और गम्भीर मरीजों का मजाक उड़ा रहा है। ऑक्सीजन सिलेंडरों के खिलाफ लोगों को भड़का रहा है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से घोर रामदेव विरोधी कांग्रेस की सरकार उस शिकायत पर कोई कार्रवाई करने के बजाए 22 दिन से चुपचाप बैठी हुई है।
रामदेव के खिलाफ लंबे लंबे खर्रे लिख कर देश के प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भेजने वाली जयलाल और लेले की जोड़ी जालंधर में रामदेव के खिलाफ पैंडेमिक एक्ट की गम्भीर धाराओं में 23 दिन पहले दर्ज हो चुकी उस शिकायत पर गूंगों की तरह चुप्पी साधे बैठी है। उस शिकायत पर कार्रवाई करने की कोई मांग पंजाब की कांग्रेसी सरकार से नहीं कर रही है। आखिर क्यों.?
अब इस ड्रामे का सबसे रोचक पक्ष समझिए।
22 मई को जयलाल और लेले की जोड़ी ने धमकी दी कि रामदेव ने अगर अपना बयान वापस नहीं लिया, माफी नहीं मांगी तो उस के खिलाफ पैंडेमिक एक्ट के तहत गम्भीर धाराओं में पुलिस केस दर्ज कराएंगे। इस चिट्ठी के 36 घंटे के भीतर 23 मई की रात 9:52 पर रामदेव ने देश के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को बाकायदा चिट्ठी लिखकर यह स्वीकार कर लिया था कि मेरा जो बयान कोट किया गया है, वह एक कार्यकर्ता बैठक का है। जिसमें मैंने आए हुए वॉट्सऐप मैसेज को पढ़कर सुनाया था। इससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मुझे खेद है। यानि जयलाल और लेले की जोड़ी की धमकीशुदा मांग के अनुरूप ही रामदेव अपने ही बयान, अपनी ही बात से 23 तारीख की रात को ही मुकर चुका है। उसी पत्र में रामदेव ने यह भी लिखा है कि कोरोना काल में भी एलोपैथी के डॉक्टर्स ने अपनी जान जोखिम में डाल कर करोड़ों लोगों की जान बचायी है। हम उसका सम्मान करते हैं। उसी पत्र में रामदेव ने यह भी लिखा और स्वीकारा है कि ऐलोपैथिक ने ही चेचक पोलियो टीबी आदि गम्भीर रोगों का उपचार खोजा है।
हिंदीभाषी प्रदेशों में अत्यधिक चर्चित और प्रचलित मुहावरे में अगर कहूं तो… थूक कर चाट लेने का इससे बड़ा सार्वजनिक उदाहरण और क्या हो सकता है.? लेकिन बात इससे आगे की कुछ और भी है, जिसने पूरा खेल गड़बड़ कर दिया। IMA की चिट्ठी मिलते ही स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रामदेव को अपना बयान वापस लेने के लिए कहा था। IMA और रामदेव, दोनों को ही इतनी त्वरित और तात्कालिक सरकारी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की उस चिट्ठी में छुपी कठोरता बहुत कुछ कह रही थी। रामदेव भलीभांति समझ गया था कि कोरोना के इस संवेदनशील दौर में देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ऐसा व्यक्ति बैठा हुआ है कि रामदेव की करतूत के खिलाफ इस माहौल में कुछ भी हो सकता है। अतः रामदेव ने अपने बयान से तत्काल मुकर कर खुद को सुरक्षित रखने में ही भलाई समझी। हर्षवर्धन की चिट्ठी मिलने के तत्काल बाद ऐलोपैथी और ऐलोपैथिक डॉक्टरों पर अपना थूका चाट कर साफ देने में उसने कोई देर नहीं की। रामदेव के इस शत प्रतिशत समर्पण के बाद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आधिकारिक रूप से इस विवाद के खत्म हो जाने की घोषणा भी कर दी थी।
लेकिन जरा याद करिए, ध्यान दीजिए की IMA धूर्तों और बहुरूपिये रामदेव के बीच न्यूजचैनलों पर जमकर जूतमपैजार किस तारीख से हो रही है और क्यों हो रही है.?
यह जूतमपैजार 24 मई को आजतक न्यूजचैनल पर IMA के धूर्तो और बहुरूपिये रामदेव के बीच हुई जूतमपैजार से शुरू हुई है। लगभग हर न्यूजचैनल पर यह दोनों एक दूसरे से जूझ रहे हैं।
जब बयान वापस लेने और माफी मांग लेने का काम रामदेव 23 मई को ही कर चुका है तो लेले और लाल की जोड़ी अब किस बात पर जूझ रही है.?
रामदेव जब 23 तारीख को ही लिखित रूप से अपना बयान वापस लेकर अपना माफीनामा सरकार को दे चुका है। तो उस IMA, जिसकी हैसियत एक NGO से अधिक कुछ नहीं। उसे रामदेव क्या और क्यों समझाने के लिए बवाल काट रहा है.?
मीडियाई मंथरा, न्यूजचैनलों पर IMA के धूर्तों और बहुरूपिये रामदेव का झगड़ा राष्ट्रीय समस्या क्यों बना हुआ है।
दरअसल इस पूरे प्रायोजित बवाल का ठोस कारण है।
ईसाई मिशनरियों के एजेंट जयलाल को इस बवाल से पहले देश में कोई नहीं जानता था। आज वो ईसाई मिशनरियों का राष्ट्रव्यापी पहचान वाला पोस्टर बॉय बन चुका है। इसके नतीजे में उस पर दौलत किस तरह बरसेगी, यह आसानी से समझा जा सकता है। उसका उल्लू सीधा हो चुका है।
आयुर्वेदिक उत्पादों के 85% बाजार में डाबर बैद्यनाथ इमामी के कब्जे के बाद शेष बचे 15% बाजार में “हाथ से मछली पकड़ने” की कोशिशों की तरह अपनी हिस्सेदारी के लिए दर्जन भर छोटी बड़ी अन्य कम्पनियों से जूझ रही रामदेव की कंपनी को इस दूसरी लहर के दौरान चर्चा में आने के लिए ऐसे ही किसी हथकंडे की बहुत सख्त जरूरत थी। जयलाल और लेले की जोड़ी के सहयोग से यह ड्रामा सुपरहिट रहा।
पहली लहर में दस लाख यूनिट प्रतिदिन की डिमांड तथा 100000 यूनिट प्रतिदिन की बिक्री के रामदेव के हवा हवाई दावे के ठीक विपरीत कोरोना की जबरदस्त पहली लहर के दौरान 139 करोड़ जन संख्या में 4 महीने में न्यूनतम 3 करोड़ किट की बिक्री की उम्मीद के बदले मात्र 25 लाख किट की बिक्री हुई थी। वैक्सीनेशन शुरू हो जाने के बाद इस दूसरी लहर में क्या दशा हुई है। यह आंकड़ा कुछ दिन बाद सामने आएगा। लेकिन रामदेव तो हकीकत जान ही रहा है।
तो यह है रामदेव बनाम IMA झंझट, बवाल, हुड़दंग का सच।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार)

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