जमात बांग्लादेश को एक बुर्क़ाबंद चलते फिरते ताबूतों वाला मुल्क क्यों बनाना चाहता है?
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India: Rajkamal Goswami
जमाते इस्लामी की स्थापना अबुल अला मौदूदी ने १९४१ में अविभाजित भारत में की थी । जमात का लक्ष्य सारी दुनिया
में शरीयत के अनुरूप राजनीतिक इस्लामी शासन व्यवस्था की स्थापना है । अपने उद्देश्य की सफलता के लिए वे किसी के भी साथ हो सकते हैं , बांगलादेश में आरक्षण विरोधी छात्रों के साथ पाकिस्तान में ज़िया उल हक़ के साथ कश्मीर में हिज़्बुल मुजाहिदीन के साथ और भारत में किसी भी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल के साथ जहाँ भी उनका हित सधता हो । अब तो जमात का विस्तार लंदन से दक्षिण अफ्रीका तक विस्तृत हो गया है ।
जमात हैपीनेस की दुश्मन है वरना बांगलादेश हैपीनेस इंडेक्स में बहुत आगे निकल गया था हसीना राज में । धर्मनिरपेक्षता तो कुफ्र है , अच्छी अर्थव्यवस्था उन्हें रास नहीं आती । लोकतंत्र का इस्लाम में कोई स्थान नहीं है इसलिये जिन इस्लामी देशों में तथाकथित लोकतंत्र है भी वहाँ वे उसे इस्लामी गणराज्य कहते हैं । उन्हें खुला समाज भी नहीं पसंद है , खुल कर हँसना और ठहाके लगाना गुनाह है ।
एक बुर्क़ाबंद चलते फिरते ताबूतों वाले मुल्क की स्थापना उनका लक्ष्य है ।
इक बंगला बने न्यारा रहे कुनबा जिसमें सारा
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)