छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में भाजपा की जीत से अधिक तुष्टिकरण की हार क्यों है?
-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-
Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari:
आज के रिजल्ट को मैं भाजपा की जीत से अधिक तुष्टिकरण की हार मानता हूं। हार उस विचारधारा की, जो बहुसंख्यक भावनाओं को अपने जूते की नोक से दबा कर रखना चाहती है। यह हार उस मानसिकता की है जो चुनाव जीतने के लिए हिंदुओं को जाति में तोड़ कर अपना रास्ता बनाना चाहती है। वे लोग पराजित हुए हैं, जिनके लिए “हम भारत के लोग” कोई मायने नहीं रखते।
लोग सोच रहे हैं मध्यप्रदेश की ‘एन्टी इन कम्बेंसी’ कहाँ गयी? राजस्थान में गहलोत जी के तुष्टिकरण भरे हजार वादों और योजनाओं का असर कहाँ गया? मैं कहूंगा, सब हिंदुत्व की आँधी में उड़ गया। यकीन कीजिये, यही और केवल यही फैक्टर काम कर रहा है अब…
कांग्रेस की दिक्कत यह है कि वह जनता का मूड जानने के बाद भी उसे स्वीकार नहीं कर पा रही है। तो यह भी सत्य है, जबतक कांग्रेस इस सत्य को स्वीकार नहीं कर लेती कि अब का समय प्रखर राष्ट्रवाद का समय है, तबतक उसके दिन नहीं लौटने वाले। तबतक उसे लगातार पराजय ही झेलना होगा।
अब आप कहेंगे कि तेलंगाना में कांग्रेस कैसे आयी! तो वहाँ भी वही हुआ है जो मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान में हुआ है। तेलंगाना में तुष्टिकरण के मामले में केसीआर कांग्रेस को भी पीछे छोड़ रहे थे। वहाँ की जनता ने भी उस तुष्टिकरण के ही विरुद्ध मतदान किया है। चुकी वहाँ भाजपा का संगठन मजबूत नहीं था, इसलिए इसका लाभ कांग्रेस को मिला है। जनता का स्वर चारों राज्यों में एक ही है।
तेलंगाना में भाजपा को चंद सीटे ही मिली हैं, पर जिस तरह कटिपली वेंकट रमण रेड्डी ने वर्तमान मुख्यमंत्री और कांग्रेस के भावी मुख्यमंत्री दोनों को हराया है, वह बता रहा है कि वहाँ की जनता क्या चाहती है। यदि वहाँ भाजपा का संगठन मजबूत रहता तो कमल खिल गया होता।
2024 के चुनाव में जनता क्या करने जा रही है, इसका सङ्केत मिल चुका है। पर इन परिणामों से विपक्षी दलों को भारतीय जनता का मूड समझ लेना चाहिये। वे चाहें तो इसी आधार पर अपनी रणनीति तैयार कर सकते हैं। उन्हें अपना स्वर, अपनी भाषा बदलनी ही होगी। अब सत्ता में आना है तो तिलक लगाना ही होगा…
और यकीन कीजिये! भारत की राजनीति में अब भी मोदी का कोई तोड़ नहीं है, कोई काट नहीं है। मोदी से ज्यादा प्रभावशाली कोई चेहरा नहीं, उनसे अधिक भरोसेमंद छवि दूसरी कोई नहीं। आप कितने भी चुटकुले गढ़ लें, पर “मोदी है तो मुमकिन है” केवल एक नारा नहीं, आज का स्थापित सत्य है।
भाजपा वाले मित्रों को बधाई, और विपक्ष वाले मित्रों को बस यही सलाह कि जनता के मूड को समझ लीजिये। जनता की सुनिये, तभी जनता आपकी सुनेगी।
साभार-(सर्वेश तिवारी श्रीमुख)-ये लेखक के अपने विचार हैं-
गोपालगंज, बिहार।