करण थापर द्वारा सत्यपाल मलिक का लिया हुआ इंटरव्यू टायं टायं फिस्स क्यों हो गया ?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
इंटरव्यू सत्यपाल मलिक का करण थापर ने लिया। इंटरव्यू ऐसा कि सत्यपाल मलिक से ज्यादा करण थापर पर तरस खाया जा सकता है। करण थापर का अपना एक जमाना हुआ करता था। उसके द्वारा की गई एक इंटरव्यू और मीडिया जगत का तापमान चढ़ जाता था। ऐसा समझ लीजिए करण थापर की ताकत, सिस्टम में किसी कैबिनेट मिनिस्टर से कम नहीं हुआ करती थी। जिसका इंटरव्यू ले ले करण थापर, वही प्रधानमंत्री हो जाए, ऐसा।
गोधरा कांड के बाद करण थापर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का अंग्रेजी में इंटरव्यू किया था। मोदी जी की विनम्रता थी कि उन्होंने करण थापर की मर्यादा का ध्यान रखा और बीच में ही इंटरव्यू छोड़ कर उठ गए। इसके बाद करण थापर ने सीएनएन न्यूज पर ‘गोधरा का भूत’ करके हैडलाइन चलाया था। करण थापर आज भी इंटरव्यू कर रहे हैं। ऐसा लग रहा भाजपा के किसी शत्रुघ्न सिन्हा का इंटरव्यू कर रहे। सत्यपाल मलिक की थोड़ी प्रतिष्ठा का ध्यान रखा जाय, तो सुब्रमण्यम स्वामी से ज्यादा नहीं कहा जा सकता। करण थापर आज भी उसी प्रकार से सत्यपाल मलिक से प्रश्न पूछ रहे, लेकिन इंटरव्यू लिए 24 घंटे से भी ऊपर हो चुका है। शायद कानो-कान सबको भनक तक भी ना लगी हो।
करण थापर लुटियंस मीडिया के कभी बॉस हुआ करते थे। पत्रकारिता को उन्होंने जिस गर्त में पहुंचाया, उन्हें अपने चरित्र पर लज्जा आनी चाहिए। थोड़ी जिंदा जमीर वाला कोई मानुस होता, तो अब तक अपनी मृत्यु चुन लिया होता। लेकिन इनके आचरण में आज भी वही बेहयाई है। कैसे जीवित रह लेते हैं ऐसे लोग? इन्हें लग रहा सत्यपाल मलिक का इंटरव्यू लेकर विपक्ष के खेमे से सत्यपाल मलिक को पीएम कैंडिडेट की उम्मीदवारी दिला देंगे। लोचा तो यही है कि सत्यपाल मलिक को इंटरव्यू देते, इंटरव्यू स्कीप करना चाहिए, जोकि इंजीनियर्ड इंटरव्यू में संभव नहीं है।
सत्यपाल मलिक ने जब खुलकर कहा हुआ है कि अब वे कांग्रेस, सपा, टीएमसी जैसे किसी दल में शामिल नहीं होंगे। लेकिन मोदी जी के खिलाफ जाकर विपक्षी दलों के लिए कैंपेन जरूर करेंगे। फिर इंटरव्यू का इस आधार पर मतलब ही खत्म हो जाता है कि सत्यपाल मलिक कभी भाजपा सरकार की ओर से कोई सरकारी मातहत रह चुके हैं। सबसे बड़ी बात की सत्यपाल मलिक अमित शाह के खिलाफ एक बयान कि ‘इसकी अकल मार रखी है’ से पूरी तरह बैकफुट हो गए। सत्यपाल मलिक ने स्पष्ट कहा कि मैंने गलत बयान दिया था, अमित शाह ने कभी भी मुझे ऐसा नहीं कहा।
सत्यपाल मलिक की बयान वापसी सुनते ही करण थापर को लगा जैसे पूरी इंटरव्यू खराब हो गई। इन लोगों को इतनी सी समझ आने से अब तक चूक हो रही है, कि अब भारत के लोकतंत्र में सरकार का निर्माण सिस्टम और नैरेटिव से ऊपर उठ चुका है। इमोशन और सेंटीमेंट की भी सरकार नहीं बनती। अब करन थापड़ जैसे लोग सरकार और जनता के बीच की दलाली नहीं कर पाते। दलालों की दुकान अब पूरी तरह से बंद हो चुकी है। अब सीधे सीधे जनता की सरकार बनती है। जनता सीधे संवाद करती है। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में बिल्कुल प्रत्यक्ष सरकार बनती है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)