कश्मीर में मेहरान यासीन के एनकाउन्टर पर महबूबा का विधवा विलाप क्यों?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
कल मेहरान यासीन अपने दो साथी के साथ वैगनआर कार में जहांगीर चौक से एयरपोर्ट चौक की ओर जा रहा था।
इसकी जानकारी सुरक्षाबलों को लग गई। रामबाग फ्लाईओवर के नीचे सुरक्षाबलों ने पहले से ही अपनी पोजीशन ले रखी थी। बलों ने वैगनआर को रोकने की कोशिश की। लेकिन जवाब में वैगनआर से फायरिंग हुई। गाड़ी रूकी नहीं। सुरक्षाबलों ने काउंटर किया। मेहरान यासीन अपने दो और साथी अराफात शेख और मंजूर अहमद के साथ मारा गया।
मेहरान यासीन वही जिहादी सैनिक था जिसने श्रीनगर के एक स्कूल में घुसकर शिक्षक व महिला सिक्ख प्रिंसिपल की हत्या कर दी थी। मेहरान यासीन लश्कर के टीआरएफ ग्रुप का जिहादी था। अराफात और मंजूर दोनों भी कश्मीर का ही स्थानीय निवासी था।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रामबाग मुठभेड़ पर सवाल खड़ा कर दिया है। यह कहते हुए कि घटना एकतरफा थी। एकतरफा कहने का अर्थ होता है कैजुअल्टी सेना की तरफ से नहीं हुई। हमारे सैनिक शहीद न हों तो मुठभेड़ प्रमाणिक नहीं माना जाता। मुठभेड़ की प्रमाणिकता को लेकर सवाल खड़े करना भारत में एक डिजाइनर नैरेटिव है। इशरत जहां एनकाउंटर से लेकर बुरहान वानी के एनकाउंटर तक तमाम उदाहरण मौजूद हैं।
इसलिए केवल पीडीपी ही क्यों? तमाम गैर भाजपाई राजनीतिक दल थोड़ा-बहुत इस नैरेटिव का स्वाद चख ही चुके हैं। चुनाव का माहौल है। मुफ्ती ने जुमला उछाल दिया है। कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी जैसे तमाम दल चाहे तो इस जुमले में आवाज देकर असदुद्दीन ओवैसी को यूपी में मात दे सकता है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)