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दरबारी मीडिया अपने मालिक से बुरी तरह फटकार क्यो लगी है?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
’14 से पहले कांग्रेस जब सत्ता में थी और भाजपा सत्ता के लिए संघर्ष कर रही थी, कहीं भी मोदी जी का यह बयान नहीं दिखा कि उन्होंने किसी खुले मंच से कह दिया हो पूरी मीडिया कांग्रेस के लिए काम करता है। बिक चुका है। जबकि यह सत्य था कि कभी कभार पता नहीं चलता था, सत्ता में मीडिया है या मीडिया में सत्ता? प्रधानमंत्री का विदेश टूर होता था तो पत्रकार सब सरकारी खर्चे पर फूड और अकोमोडेशन अटेंड करते थे। उसके बाद जब वहां से आते थे तो एक पर एक पुरस्कार, पद्म पुरस्कार।

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अपने यूरोपीय दौरे पर डेनमार्क में एक सभा को संबोधित करके जब मोदी जी बाहर निकले तो अंजना ओम कश्यप खड़ी थी। वह बोली कि भीतर नहीं जाने दिया गया, फिर मोदी जी ने ‘ओ माय गॉड, ऐसा कैसे हुआ पूछेंगे’ कह कर निकल गए। ऐसा कहें कि मीडिया को सत्ता में हस्तक्षेप से बिल्कुल बाहर कर दिया गया। वे दिन अब गए जब स्टूडियो में बैठकर कैबिनेट मिनिस्टर के लिए नाम तय होते थे।

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एक कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर मोदी जी ने जब पहली बार पीएम बनने के बाद मीडिया के बारे में कुछ बोला तो उन्होंने कहा कि जब पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन होता था तब मैं पत्रकारों के लिए कुर्सी लगाता था। साफ करता था। जबकि जिस वक्त मोदी जी ने यह बयान दिया उस वक्त मीडिया में पुण्य प्रसून बाजपेई, बरखा दत्त जैसे वामपंथी पत्रकारों का मेनस्ट्रीम में दबदबा हुआ करता था। मीडिया नेक्सस के तौर पर दशकों से काम करता था।

आज ठीक से 8 वर्ष नहीं हुए, एक भी मीडिया अथवा एक भी अखबार को नहीं छोड़ा राहुल गांधी जी ने। सबको मोदी जी के मित्र के लिए काम करता हुआ बताया। खुलेआम। जबकि कुछ गिने-चुने मीडिया को छोड़ दें, तो आज भी मीडिया की एक एकोसिस्टम ताकत कांग्रेस के लिए ही काम कर रही है। बस फर्क इतना है कि उसका मुकाबला सोशल मीडिया के माध्यम से हर आम जनता कर देता है। और इसी चीज को पाटने में लुटियंस मीडिया सक्षम नहीं हो पा रहा।

आप कह सकते हैं कि दरबारी मीडिया को आज अपने मालिक से बुरी तरह फटकार लगी है। सार्वजनिक फटकार लगी है। इस बात के लिए फटकार लगी है कि वे कुछ रिजल्ट नहीं दे पा रहे। फिर क्या था? एबीपी न्यूज़ ने स्क्रीन के दोनों तरफ महंगाई कंपैरिजन का एक डाटा चलाना शुरु कर दिया। बीच में राहुल गांधी का महंगाई पर भाषण और दोनों तरफ किस चीज पर कितना प्रतिशत महंगाई बढ़ा, उसका आंकड़ा-

मनमोहन राज में डीजल पर मूल्य वृद्धि 161% मोदी राज में 58%
मनमोहन राज में पेट्रोल पर मूल्य वृद्धि 112% मोदी राज में 35%
मनमोहन राज में एलपीजी पर मूल्य वृद्धि 230% मोदी राज में 23%
मनमोहन राज में आटा पर मूल्य वृद्धि 102% मोदी राज में 43%
मनमोहन राज में चावल पर मूल्य वृद्धि 121% मोदी राज में 10%
मनमोहन राज में दूध पर मूल्य वृद्धि 116% मोदी राज में 44%
मनमोहन राज में अरहर दाल पर मूल्य प्रति 117% मोदी राज में 63%

एक तरफ राहुल गांधी का भाषण लाईव, दूसरी तरफ मीडिया परत दर परत सच्चाई खोल कर दर्शकों को दिखा रही है। जो नेता महंगाई की लड़ाई को एक दिन भी सरवाइव नहीं करवा पा रहा, वह क्या नेता बनेगा? जब कि मोदी जी ने बस इतना कहा था कि आप के बैठने के लिए हम कुर्सी पूछते थे, आज देखिए उस बयान का मुकाबला पद्मश्री भी नहीं कर पा रहा।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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