www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

कांग्रेसी नेताओं को आरएसएस से नहीं बल्कि राहुल गांधी से ही क्यों डर लगने लगा?

राहुल गांधी पहले अपने गिरेबान में झांके।

Ad 1

Positive India:Satish Chandra Mishra:
राहुल गांधी पहले अपने गिरेबान में झांके…
राहुल गांधी को भले ही यह शर्मनाक सच्चाई ना दिखाई दे रही है, ना सुनाई दे रही है। लेकिन सच यही है कि कांग्रेस के नेताओं को आरएसएस से नहीं बल्कि राहुल गांधी से ही डर लगने लगा है।

Gatiman Ad Inside News Ad

बेहद सतही अंदाज में राहुल गांधी ने कल एक वीडियो संदेश जारी कर के कहा है… “जो हमारे यहां डर रहे हैं, उनको बाहर निकालो, चलो भईय्या जाओ। आरएसएस के हो, जाओ भागो, मजे लो। नहीं चाहिए, जरूरत नहीं है तुम्हारी। हमें निडर लोग चाहिए। ये हमारी आइडियोलॉजी है। बहुत सारे लोग हैं जो डर नहीं रहे। वो सब हमारे हैं। उनको अंदर लाओ और जो हमारे यहां डर रहे हैं उनको बाहर निकालो।”

Naryana Health Ad

राहुल गांधी द्वारा कल दिया गया यह बयान शत प्रतिशत राजनीतिक आपरिपक्वता, राजनीतिक अज्ञानता और प्रचंड राजनीतिक अहंकार से सराबोर तो है ही साथ ही साथ राहुल गांधी में गहराई तक जड़ें जमा चुकी राजनीतिक और हताशा निराशा कुंठा, अवसाद और खीझ को भी दर्शा रहा है। यही कारण है कि राहुल गांधी पिछले 7 वर्षों से विपक्ष में बैठने के बाद भी जमीनी राजनीतिक सच्चाइयों से कोसों दूर हैं।

राहुल गांधी को अब भी यह समझ में क्यों नहीं आ रहा है कि जिस उत्तरप्रदेश में ढाई वर्ष के एक अपवाद को छोड़कर लगभग 40 वर्षों तक दो तिहाई, तीन चौथाई बहुमत के साथ कांग्रेस लगातार सरकार बनाती रही। उसी उत्तरप्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या को राहुल गांधी ने जब दहाई से नीचे केवल 7 तक पहुंचा दिया तो कांग्रेस के राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को आरएसएस से नहीं राहुल गांधी से ही डर लगेगा।

राहुल गांधी को यह कैसे और कब समझ में आएगा कि लगभग 40 वर्षों तक दो तिहाई, तीन चौथाई बहुमत के साथ तथा कुल 55 वर्ष तक देश में जिस कांग्रेस ने सरकारें बनाईं, शासन किया उस कांग्रेस की अपने नेतृत्व में राहुल गांधी ने यह दुर्दशा कर दी है कि उसे लोकसभा में नेता विपक्ष की हैसियत से भी हाथ धोना पड़ा है। कभी दो तिहाई और तीन चौथाई बहुमत से सरकार बनाती रही कांग्रेस की सीटों की संख्या को राहुल गांधी ने पिछले 2 चुनावों में अपने नेतृत्व में 44 और 53 सीटों तक सीमित कर दिया है। अतः कांग्रेस के राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को आरएसएस से नहीं अब राहुल गांधी से ही डर लगने लगा है।
देश में 74 वर्षों तक कांग्रेस के शक्तिशाली सुरक्षित दुर्ग समझे जाते रहे केरल में कांग्रेस अगर इसबार पहली बार लगातार दो बार सरकार बनाने में असफल रही है तो इसके लिए कांग्रेस के राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को आरएसएस से डर क्यों लगेगा.? इसके बजाए उनको अब राहुल गांधी से ही डर लगने लगा है।
लगभग डेढ़ दो वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश और कर्नाटक में अपनी पूर्ण बहुमत की सरकारों को राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जिस तरह गंवा दिया, तथा पंजाब और राजस्थान में जिस तरह का राजनीतिक घटनाक्रम घट रहा है। उसके कारण राहुल गांधी की राजनीतिक समझ, राजनीतिक सूझबूझ , राजनीतिक कौशल और नेतृत्व क्षमता संगीन संदेहों, कठोर सवालों के कठघरे में खड़ी हो गए हैं। इस स्थिति ने राहुल गांधी के नेतृत्व की दीनहीन दरिद्र स्थिति को सार्वजनिक रूप से उजागर कर दिया है। स्वाभाविक है कि यह नजारा देखकर कांग्रेस के राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को आरएसएस से नहीं राहुल गांधी से ही डर लगने लगा है।

राहुल गांधी को भले ही आज भी यह समझ में नहीं आया हो कि बंगाल में कैमरों के सामने खुलेआम हाथ फैला कर 50 करोड़ हिन्दुस्तानियों की मौत की दुआ सार्वजनिक रूप से मांग रहे फुरफुरा शरीफ के कट्टरपंथी धर्मान्ध मौलाना के साथ राहुल गांधी ने जब बंगाल में चुनावी गठबंधन किया था तो हत्यारी मानसिकता और हत्यारे इरादों वाले उस दुर्दांत मौलाना के साथ राहुल गांधी के उस चुनावी गठबंधन के भयानक सच को देख सुनकर कांग्रेस के राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को ही नहीं पूरे देश को राहुल गांधी से डर लगने लगा था।

राहुल गांधी गांधी की समझ में यह क्यों नहीं आ रहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ हाथ मिलाकर राहुल गांधी ने अगर महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार, शिवसेना का मुख्यमंत्री बनवाया है तो इसबात पर कांग्रेस के राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को आरएसएस से डर क्यों लगेगा.? अपने इस फैसले से राहुल गांधी ने कांग्रेस की राजनीतिक विचारधारा की धज्जियां जिस तरह उड़ाईं उसे देख सुन और समझ कर कांग्रेस के राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को राहुल गांधी से ही डर लगने लगा है।
डर और अपनी विचाधारा पर अपने प्रवचन वाले वीडियो में राहुल गांधी को यह भी बताना चाहिए था कि अपने खिलाफ दर्ज 250 करोड़ की इनकम टैक्स की चोरी के मुकदमे की सुनवाई और कार्रवाई की खबरें मीडिया में छापने और दिखाने पर रोक लगाने की भीख राहुल गांधी ने किस के डर से, किस विचार धारा के तहत मांगी थी.?

राहुल गांधी को कल बताना चाहिए था कि जब सीमा पर भारतीय सैनिक अपने प्राणों को दांव पर लगाकर चीन के साथ डोकलाम की ज़ंग लड़ रहे थे उस समय किस के डर से राहुल गांधी ने रात के अंधेरे में चीन के दूतावास जाकर चीन के राजदूत से किस विचारधारा के तहत चोरी छुपे मुलाकात की थी.?

राहुल गांधी को बताना चाहिए कि चीनी राजदूत से अपनी उस गुप्त मुलाकात से इनकार कर के उस मुलाकात को देश से छुपाने की कोशिश राहुल गांधी ने किस के डर से की थी, जिस मुलाकात का सच खुद चीन के विदेश मंत्रालय की एक चूक के कारण बाकायदा राहुल गांधी की फोटो के साथ दुनिया के सामने उजागर हो गया था.?

राहुल गांधी को बताना यह भी चाहिए कि 2008 में किस के डर से राहुल गांधी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ कांग्रेस के किस गुप्त समझौते पर किस विचारधारा के तहत क्यों और किस हैसियत से हस्ताक्षर किए थे.?

राहुल गांधी को कल डर और विचारधारा पर ज्ञान बांटते समय यह बताना चाहिए था कि… पूरे देश में लगातार मच रहे शोर के बावजूद राहुल गांधी ने किस के डर से आज भी यह सच देश और कांग्रेस पार्टी तक को नहीं बताया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ राहुल गांधी द्वारा किया गया वह गुप्त समझौता क्या है.?
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.