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नक्सल मीडिया के तमाम कोशिशों के बावजूद श्रीलंका की आग भारत क्यों नहीं पहुंची ?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
ठीक ठीक कहें तो ब्रिटेन(Britain) की हालात श्रीलंका(Sri lanka)जैसी हो गई है। नक्सल मीडिया के तमाम कोशिशों के बावजूद श्रीलंका की आग भारत नहीं पहुंची, लेकिन ब्रिटेन अब अवश्य चपेट में आ चुका है। न केवल इकोनामिक क्लैश, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक सब कुछ। लीज ट्रस् की बनाई गई इकोनामिक पॉलिसी को जनता ने अस्वीकार कर दिया है, तिसपर लीज ट्रस(Liz Truss) का इस्तीफा, इस अस्वीकृति पर मुहर है। अब जनता सड़कों पर उतरेगी इतना भर बच गया है।

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भारत का नक्सल मीडिया श्रीलंका क्राइसिस के वक्त कह रहा था, धर्म के नाम पर श्रीलंका में जिस प्रकार से राजनीति की गई, आर्थिक तबाही उसी का नतीजा है। इस नक्सल मीडिया को ब्रिटेन पर यही सूत्र लगाकर प्राइम टाइम करना चाहिए। लेकिन नक्सल मीडिया को तकलीफ तब होती है, जब यही सूत्र भारत पर काम नहीं कर रहा।

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भारत में सड़कों और बाजारों में जितनी भीड़ है, इससे जो तस्वीर निकलती है, अर्बन नक्सल पत्रकारों के गले सूख रहे होंगे। महंगाई और बेरोजगारी के चपेट से भारत को बिल्कुल भी बेपरवाह नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह विमर्श बहुत ही फैन्सी है, जो स्टूडियो के चकाचौंध से उठती तो है, और जर्नल्स, मैगजींस, अखबारों तक आते-आते दम तोड़ देती है।

यहाँ बाजार एकदम फल फूल रहा है। डॉलर(Dollar) को छोड़ बाकी करेंसियों के मुकाबले रुपया मजबूत हो रहा है। रुपया अब अंतरराष्ट्रीय करेंसी की सूची में शामिल होने की तरफ दौड़ रहा है। निर्यात बढ़ रहे हैं। बस भारत के कुछ राज्य ऐसे हैं जो देश को सपोर्ट नहीं कर रहे। बिहार इसमें अव्वल दर्जे पर है। देश का नेतृत्व यदि सही हाथों में ना होता, तो भारत भी आज वास्तव में कोरो-ना काल में ही इतना टूट चुका होता, जितना कि आज श्रीलंका और ब्रिटेन।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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