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अशोक गहलोत ने राजस्थान में क्यों लोकतंत्र का तमाशा बना रखा है?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
जनता यदि कांग्रेस को सत्ता न दे तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है। यदि सत्ता दे, लेकिन क्लियर मैंडेट ना दे तो लोकतंत्र की हॉर्स ट्रेडिंग होने लगती है। लेकिन यदि सत्ता दे और क्लियर मैंडेट के साथ भी दे, हॉर्स ट्रेडिंग भी ना हो तो? तो फिर कांग्रेस इस सत्ता का क्या करती है, उसकी तस्वीर आज राजस्थान में दिख रहा है। राजस्थान का लोकतंत्र आज कितना बुलंद है!

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बहुमत से सत्ता सौंप देने के बावजूद भी कांग्रेस लोकतंत्र के साथ क्या करती है, आज के डिजिटल युग को यह बात अंतिम रूप से समझ लेना चाहिए। कौन पायलट खेमा है, कौन गहलोत खेमा है, इससे आम जनता को क्या लेना देना? आम जनता का काम है 5 वर्ष में एक बार राज्य के कल्याण के नाम पर वोट कर देना। राजस्थान की जनता ने कितने सूझबूझ से एक काम तो अवश्य किया, चुनाव में एक क्लियर मैंडेट दिया। किसी पार्टी के पक्ष में जनता इससे ज्यादा और क्या कर सकती है?

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लेकिन कांग्रेस ने राजस्थान को क्या दिया? चुनावी वायदों को तो छोड़ ही दिया जाए। ना ही एक स्वस्थ्य शासन और ना ही लोकतंत्र को उसका सम्मान। लोकतंत्र के भाजपाई सत्ता में खतरे में होने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन आज राजस्थान का लोकतंत्र जैसे शर्म से डूब रहा है। यद्यपि यह बात देश गांधी के रवैये के कारण 1939 से जानता है। लेकिन जनता बार बार कांग्रेस को सत्ता सौंपती है, इसलिए बार-बार लोकतंत्र के शर्मसार होने पर लिखना जरूरी है।

मीडिया में आज सवाल एक ही होना चाहिए था कांग्रेस से, कि जब आपको जनता ने स्पष्ट जनादेश राजस्थान में शासन चलाने के लिए दिया है, तब आप लोकतंत्र का तमाशा क्यों बना रहे हैं? अर्बन नक्सल मीडिया तो इतनी बात पूछने से रहा। राष्ट्रवादी मीडिया भी टीआरपी के दांव पेच में अपना विवेक खो देता है। खेमेबाजी के बहाने लोकतंत्र का तमाशा किया जा रहा और मीडिया भी उसी तमाशे में खेमेबाजी के प्रश्नों पर उलझा हुआ है। कौन सा गुट क्या कर रहा है यह कांग्रेस का निजी मामला है। मीडिया क्यों उन गुटों के समझाने पर सवाल कर रहा है? मीडिया का सवाल तो तमाशे के खिलाफ होना चाहिए?

महाराष्ट्र हो, मध्यप्रदेश हो अथवा अन्य कोई भी राज्य, जहां भाजपा तनिक भी बहुमत के निकट होती है, और सत्ता के विधायक टूट कर स्वयं मोदी जी का नेतृत्व थामना चाहते हैं, कांग्रेस वहां खरीद-फरोख्त और लोकतंत्र के टूटने और खतरे में होने का तमाम आरोप लगाती है। मीडिया भी पलट कर भाजपा से प्रश्न करता है। आज तो भाजपा राजस्थान में दूर-दूर तक नहीं है। फिर कांग्रेस के विधायकों ने क्यों लोकतंत्र का तमाशा बना रखा है? क्यों फिर भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स हो रही है? क्यों फिर भी विधायकों को बंधक बनाया जा रहा है? कौन पूछेगा ये प्रश्न?

दरअसल लोकतंत्र के साथ खेलना और लोकतंत्र का गला घोट देना गांधी वंश के जीन में है। एक चुने हुए नेता सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस से बाहर निकाल कर गांधी ने यह बीज बोया था। किसको पता था 80-80 साल बाद भी भारत का लोकतंत्र इस बीज से फलने वाला विष का पान कर मरता रहेगा?

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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