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अराजक अरविंद केजरीवाल उचक-उचक कर कभी हाईकोर्ट और कभी सुप्रीमकोर्ट की शरण में क्यों जा रहे हैं?

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
अराजक अरविंद केजरीवाल अगर उचक-उचक कर कभी हाईकोर्ट और कभी सुप्रीमकोर्ट की शरण में जा रहे हैं तो उस का एक स्पष्ट कारण है। एक परसेप्शन सा है कि हाई कोर्ट और सुप्रीमकोर्ट मोदी सरकार के ख़िलाफ़ है। इन अदालतों के बहुत से फ़ैसले ऐसे होते भी आए हैं। इस लिए भी कि निजाम बदल जाने के बाद भी अभी तक इन अदालतों में नियुक्त तमाम जस्टिस अभी भी कांग्रेसी और वामपंथी खेमे से संबद्ध हैं। उन्हीं के नियुक्त किए हुए हैं।

कुछ तो ख़ानदानी हैं। जैसे कि वर्तमान चीफ़ जस्टिस आफ इंडिया मिस्टर चंद्रचूड़। इन के पिता भी इंदिरा कार्यकाल में चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया रहे। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दल्ले कांग्रेसी वकीलों की शकल देखते ही जस्टिस लोग मनमाफ़िक निर्णय देते रहने के अभ्यस्त रहे हैं। इन के कुतर्क को सिर-माथे रखते रहे हैं। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। एक समय था कि हर घर से अफजल निकलेगा का नारा लगता था और आतंकियों की फांसी रोकने ख़ातिर आधी रात भी सुप्रीम कोर्ट खुल जाती थी। राहत मिल जाती थी। अरविंद केजरीवाल को यह याद है।

इस लिए भी कि अराजक अरविंद केजरीवाल भी राजनीतिक अफजल ही हैं। अलग बात है कि अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में निर्णय सुनाने वाले चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया रहे रंजन गोगोई के पिता केसब चंद्र गोगोई तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे। लेकिन चीज़ें बदल रही हैं पर आहिस्ता-आहिस्ता।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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