www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

आंदोलनजीवी एक धंधा क्यों है?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India:Rajkamal Goswami:
आंदोलनजीविता में ऐसा क्या है जो प्रधानमंत्री जी इनसे दूर रहने की सलाह दे रहे हैं । यह भी एक घंधा है जैसे प्रशांत किशोर चुनावजीवी हैं । २०१४ में उनकी सेवायें भाजपा ने ली थीं । उनकी अनूठी परफॉर्मेंस देख कर २०१९ में काँग्रेस ने उनकी सेवायें लीं मगर इस बार वह फेल हो गये ।

क्या मिला ख़िज्र से सिकंदर को!
किसको अब रहनुमा करे कोई !!

नेताओ और पार्टियों का अपने ऊपर से भरोसा उठ गया है तो प्रशांत किशोर चाहिये ही चाहिये । इस बार शायद टीएमसी उनकी सेवा ले ।

रैली जीवी भी होते हैं , जिले के सरकारी निज़ाम से चंदा ले कर रैली के लिये बसें पहुँचाना उनका धंधा होता है । लोकतंत्र का रोज़गार है ये भी । एक बार म्युनिसिपिलिटी के चुनाव में मुझे एक प्रत्याशी ने पोलिंग एजेंट बना दिया , तब मैं किशोर था । अति उत्साह में बन तो गया । प्रत्याशी ने मुझे पाँच रुपये दिये कि यदि कोई फर्जी वोट डालता दिखाई दे तो दो रुपये दे कर उसके वोट को चैलेंज करना । बूथ में मैं यथास्थान बैठ गया । पहले ही वोटर को मैं पहचानता था और वह दूसरे के नाम से वोट डालने आया था , मैंने फौरन दो रुपये जमा कर उसे चैलेंज किया मगर वह मुझ पर आँखें तरेरते हुए बिना वोट दिये भाग लिया । उस दिन चार पाँच लोगों से बिला वजह दुश्मनी हो गई जबकि हमारा प्रत्याशी तो रेस में भी नहीं था । तो फर्जी वोटर भी वोटजीवी थे ।

आंदोलन तो बिना प्रोफेशनल आंदोलनकारियों की सेवायें लिये हो ही नहीं सकता । शाहीनबाग और सिंघू बॉर्डर में जो समानता दिखाई देती है वह इसी वजह से है । मुद्दे कुछ भी हों ये पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर देंगे । बहुत आधुनिक हो गई है दुनिया । अब तो आप शादी करिये तो सारी बारात , रिश्तेदार सब किराये पर उपलब्ध हैं । बिलकुल परफेक्ट ट्रेनिंग के साथ । जेठ जी चुनरी उढ़ाने आ जायेंगे ।लड़के का मामा बहनोई बहन फूफा सब प्रॉपर ड्रेस में तैयार मिलेंगे और सारी रस्में निभायेंगे । विदा के समय रुदालियाँ भी मिल जायेंगी ।
रुदाली का तो धँधा ही रोने का होता था । पैसे देकर जिस अवसर पर चाहे बुला लें । रो रो कर समा बाँध देंगी ।

प्रधानमंत्री जी देश किस किस से बचे । कोई सेवा बिना प्रोफेशनल के उपलब्ध नहीं है । अब तो अंतिम संस्कार जीवी संस्थायें भी तैयार हैं ।

आंदोलनजीवों का स्वागत कीजिये । ये निष्ठाविहीन होते हैं । जैसे पापांकुशा एकादशी से पापमोचनी एकादशी के मध्य जो भी भाजपा में शामिल हो जाता है उसके पिछले पाप धुल जाते हैं उसी प्रकार ये आंदोलनजीवी भी आपके दल के सम्पर्क में आते ही दलदल से बाहर आ जायेंगे ।

तव मायाबस जीव जड़ संतत फिरइ भुलान !

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Leave A Reply

Your email address will not be published.