बिना किसी विरोध के सभी सांसद मोदी जी के पीछे-पीछे क्यों चल दिये?
-विशाल झा की कलम से-
सदन चलने का मतलब शोर शराबा, जो कि पिछले 9 वर्षों में देखा गया है। लेकिन वर्तमान सत्र का दो दिन कितना आश्चर्यजनक है। सदन के आरंभ से पहले ही विपक्ष की पूरी तैयारी थी कि मणिपुर के मुद्दे को फिर से जिंदा करके सदन को लगातार बाधित करना है। सत्र आरंभ से पहले मोदी जी का मीडिया को ब्रीफिंग और भी खतरनाक था।
लेकिन जब सदन शुरू हुआ तो जैसे लगा विपक्ष को सम्मोहित कर लिया गया है। एक तरफ जहां राज्यसभा में सभापति खड़गे जी को 5-5 मिनट का वक्त मित्रवत् दे रहे थे, इधर लोकसभा में मोदी जी नेहरू जी की प्रशंसा कर रहे थे। यहां तक कि मोदी जी ने प्रशंसा के अपने शब्दों में सांसद सफीकुर्र रहमान जैसे जिंदा देशद्रोही को भी शामिल कर लिया। फिर अधीर रंजन चौधरी को प्लेटिनम जुबली पर बोलने का पूरा वक्त मिला, तो वे सोनिया के हंटर पर नेहरू नेहरू का लगातार जाप करने लगे। सदन कितनी शांति से चला।
संजय सिंह और राघव चड्ढा को सदस्यता वापस दिलाने पर खड़गे साहब ने आवाज उठाया था। संभव था कि इस मुद्दे को लेकर दूसरे दिन का सत्र खराब किया जा सकता। लेकिन घोषणा कर दी गई कि कल 9:30 बजे ही फोटो सेशन किया जाएगा। समय से पहले तमाम सांसद फोटो सेशन के लिए निर्धारित साइट पर पहुंच गए। राहुल जैसे वैश्विक सांसद आधा आधा घंटा ऐसे ही खड़े रहे। यह फोटो सेशन भी दूसरे दिन के सत्र शुरुआत की शांति का सौदा बन गया। फिर सेंट्रल हॉल, वही सेंट्रल हॉल जहां राष्ट्रपति जी के पिछले अभिभाषण पर प्रतिपक्ष के सभी सांसद उपस्थित नहीं हुए थे, वहां सब पहुंच गए।
जिस नए संसद भवन पर तमाम हंगामें खड़े किए गए थे, भूख और बेरोजगारी की दुहाई दी गई थी, बिना किसी विरोध के सब मोदी जी के पीछे-पीछे चल दिये। इतिहास में ऐसा कोई पहली तस्वीर था, जब कोई प्रधानमंत्री सभी के सभी 543 सदस्यों को पीछे लेकर, नेतृत्व करता हुआ सीना ताने जा रहा हो। नारे लीक नहीं हुए, शायद भारत माता की जय के नारे लग रहे थे। कोई विरोध प्रतिरोध के बिना सभी सांसद पीछे-पीछे। आश्चर्यजनक।
सदन में जो बिल आने वाला है वह भी सरकार का तीसरा सम्मोहिनी अस्त्र है। महिला आरक्षण बिल की लुटियंस जोन में पूरी चर्चा है। राहुल गांधी ने बिना शर्त समर्थन का ऐलान कर दिया है। इस बात से बेफिक्र की सत्र का जो 3 दिन शेष है उसका एजेंडा अभी तक नहीं खोला गया है। और विपक्ष सत्ता पक्ष पर मोहित है। कहीं ना कहीं मोदी का नेतृत्व, नेतृत्व के जिस काबिलियत के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, वह भारत जैसे हंगामेदार संसदीय परंपरा में भी आज आश्चर्यजनक तस्वीर पेश कर रहा है। इस सुंदर और सुखद तस्वीर के हम सभी साक्षी बने हैं। यह एक बड़ा नागरिक सौभाग्य है। जय सियाराम।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)