Positive India: By Dr.Chandrakant Wagh: विपक्ष का प्रधानमंत्री कौन और कैसे होगा ये अब अनबुझी पहेली बन गई है । इस समय हर नेता मुंगेरी लाल के सपने देख रहा है । हालात ये हो गये है कि चुनाव नही लड़ रहे है पर प्रधानमंत्री बनने के दौड़ मे लगे हुए है । पूरे देश को मालूम है कि जिन लोगो मे मुख्यमंत्री बनने की कूबत नही है वो भी अपने को प्रधानमंत्री मानने लगे है । आज इन्ही भविष्य के होनहार प्रधानमंत्री की चर्चा की जाये । इस दौड़ मे सबसे पहला नाम राहुल गांधी का है । इनकी खासियत यह है ये देखकर भाषण देते है । राग दरबारीयो से घिरे इस युवा को अब पक्का विश्वास हो गया है कि पूरे देश मे कांग्रेस की लहर चल रही है । बनने के पहले ही 72000/- हजार रुपए साल का देना इस युवा नेता के विश्वास की बात थी । खजाना खाली हो जाए; देश डूब जाए पर इस घोषणा को अमल मे लाने के लिए कृत संकल्पित है । पर एक बार ताम्रध्वज बोल दे तो छ . ग . से और वोट मिलने की संभावना है । पर दूसरो को स्वीकार नही है । इस दौड़ मे दूसरा नाम मायावती बहिन जी का है । बसपा सुप्रीमो को कम से कम चुनाव के वोट डालने तक अखिलेश बाबू जी का पूर्ण समर्थन प्राप्त है । बहिन जी के भी बहुत प्लान है पर बगैर अखिलेश के अभी अंतिम नही है । अभी तो चुनाव से दूर है पर सत्ता का नजारा दिखा तो उस दिन ये तय होगा कि पीछे के दरवाजे से मनमोहन सिंह जी के समान प्रधानमंत्री बने कि चुनाव लड़कर पी एम बने । सत्तर लोकसभा सीट मे चुनाव लड़ने वाले ये दोनो दल बाकी के सांसद का जुगाड़ कैसे होगा, बताया नही है । पर इतने विश्वास मे है कि प्रधानमंत्री के रूप मे अपने आप को देख सकते है । मायावती के बाद अगला तगड़ा पी. एम . दावेदार ममता बनर्जी है । उल्लेखनीय है, पश्चिम बंगाल के बाद न इनको कोई जानने वाला है न ही इनके नाम पर वोट देने वाला है। पर विपक्ष की स्थिति को देखते हुए ताल ठोक कर आजमाने मे क्या बुराई है । 44 सीट से चुनाव लडने वाली तृणमूल अगर बीस बाईस सीट भी जीत जाती है तो बहुत है । बीस सीट मे प्रधानमंत्री ? इनके गुस्से ने सीबीआई को अंदर आने नही दिया । प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसे ही रहा तो मुश्किल हो जाएगा । एक और नाम जो कभी प्रधानमंत्री के दौड़ मे नही थे और प्रधानमंत्री बन गए देवगौड़ा साहब । लड़का भी कम सीट लाकर राजनीति की मजबूरी के चलते मुख्यमंत्री बना हुआ है । किस्मत कही फिर गुल खिला दे तो बात बन जाऐ । वैसे ये सब अंदर से एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी है पर इनका महाविरोधी एक ही है जो नरेंद्र मोदी जी ही है जो इनको एक सूत्र मे बांधे हुए है । पर समय आने पर ये एक नही होंगे तय है। पर एक बात और सबके कच्चे चिट्ठे भी है जो लोकतंत्र को मजबूत करने के नाम से बने हुए है; जो महागठबंधन के नाम से चुनाव लड़ रहे है। अगर सपा को बसपा से ज्यादा सीट मिली तो सपा सुप्रीमो तैयार होंगे ? वैसे धोबी पछाड़ा वाले मुलायम सिंह जी एक बार पी एम बनते बनते रह गए । पर ये मौका अंदरूनी मन से नही छोड़ना चाहेंगे । अभी इस समय राजनीति मे किसी को पी एम की दावेदारी करना हो तो सबसे अच्छा मौका है । प्रधानमंत्री बने न बने पर चर्चा तो होगी । क्या ये चेहरे देश को स्वीकार है ? आज राजनीति की हालत इतनी बदतर हो गई है कि छोटे छोटे दलो का प्रतिनिधित्व करने वाले वाले भी देश के सबसे बड़े पद पर कब्जा जमाना चाहते है । पर उस पद की गंभीरता से कितने वाकिफ है भगवान् जाने। पर भारत के अवाम को इन पर कितना ऐतबार होगा, ये 23 मई को पता चलेगा । उस दिन इन तथाकथित प्रधानमंत्रीयो को भी ये कितने पानी मे है पता चल जाएगा । पर इतना तो तय है कि यह पद एक दूसरे को एक नही होने देंगे । और जिस ढंग से हवा बह रही है प्रधानमंत्री कौन बनेगा सबको पता है।
लेखक डा.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ(यह लेखक के अपने विचार है)