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कांग्रेस का टूलकिट किसे प्रभावित करना चाह रहा है?

कांग्रेस द्वारा जारी टूलकिट का विश्लेषण।

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Positive India:Ajit Singh:
रेहाना के बाद कांग्रेस के उस टूलकिट को देख कर जिन सेकुलर,लिबरल,कूल डूड या साफ साफ कहूं तो फट्टू हिन्नुओं की आँखे अभी भी नही खुली हैं..जो अभी भी आत्ममुग्ध बौद्धिकता की आड़ मे केवल और केवल अपनी कायरता छिपा रहें हैं…उन रायता फैलाने वाले यानी बात बात पर मुंह फुलाने वाले फुफ्फाओं को कम से कम अब तो समझ लेना चाहिये कि मोदी पर आक्रमण केवल सांकेतिक हैं…असल मे पूरा का पूरा उनका कुनबा मोदी की ओट मे आपके देश,आपके सनातन धर्म और आपके अंदर पनपे राष्ट्रवाद का घोर विरोधी है….उनका टूलकिट किसे प्रभावित करना चाह रहा है…वही जो ढ़ुलमुल हैं..जो बात बात पर बिना सोचे समझे,अधीर होकर मोदी से सवाल पूछने लगते हैं..जबकि खुद को मोदी का समर्थक भी कहते हैं..खैर…..इतने के बाद भी जो हिन्नू विधर्मियों की साजिश और टूलकिट का षडयंत्र नही समझ पा रहें हैं……….तो उनका परमात्मा ही मालिक है…उन्हे चाहिये कि आज के बाद से वो सनातन के जीवन-मरण को लेकर की जा रही विधियों का पूर्ण बहिष्कार करके स्वयं को सनातन से अलग कर लें….यदि ऐसा करने की ताकत उनके कलेजे मे नही है तो अपने किसी स्वार्थ के वशीभूत होकर पहने सेकुलरता का बुर्का उतार कर खुल कर सनातन के संघर्ष मे एक सैनिक के रूप मे सामने आयें….ये आधा तीतर-आधा बटेर वाली नीति अब नही चलेगी….!

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यह मै केवल इसलिये बता रहा हूं यदि हम अपने शत्रु और अपने मित्र को नहीं पहचानते,शत्रु की कुटिलता,उसकी नीच सोच,उसकी निर्दयता के बाद भी उसी शत्रु की नजरों में अपने लिए सम्मान, पहचान और खुद के महान होने का प्रमाण ढूंढने के साथ अपने मित्र,अपने नायक और अपने शुभेच्छु को नही पहचान पा रहें हैं तो निश्चित जान लीजिये की ऐसे समाज का पतन और क्षरण निश्चित हैं….फिलहाल बस इतना ही कहूंगा कि शत्रु बोध का अभाव हम यानी हिंदू समाज की सबसे बड़ी कमजोरी पहले भी रही हैं और आज भी है…कुछ नही बदला है…क्योंकि हम स्वयं को बदलना ही नही चाहते है….क्योंकि हम खुद कुछ करना ही नही चाह रहे हैं….क्योंकि हम सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक….और तक्षशिला से लेकर मथुरा काशी तक केवल मंत्र जाप करके कल्कि अवतार के प्रगट होकर हमारी हर समस्याओं को सुलझाने वाले महामानव की प्रतीक्षा कर रहे थे….और आज भी कर रहे हैं कि वो सफेद घोड़े पर आकर हमारी हर समस्या को न केवल दूर कर देगा….बल्कि हमारी अस्मिता..हमारे अस्तित्व और हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी बचा लेगा…हिन्नुओँ….बुरा न लगे तो कहूं….ये सफेद दाढ़ी वाला ऊर्जावान मानव….जिसे स्वयं महादेव ने आपके रक्षण के लिये भेजा है….उसे अपने मन और मस्तिष्क मे संजो लीजिये…विश्वास करिये आपका भला हो जायेगा…बहरहाल हिंदुओं के उस जमात से एक सवाल है,जिसकी आँख मे अभी भी राष्ट्र और धर्म की अस्मिता पर विधर्मियों ही नही तथाकथित नेता का रूप धरे मायावी दुराग्रहियों द्वारा किये गये इतने आघातो के बाद भी सेक्यूरिज्म और गंगा जमुनी तहजीब वाला सुरमा लगा है कि क्या वो कोई एक उदाहरण बता सकते है कि भगवद गीता पढ़ा हुआ कोई व्यक्ति आतंकवादी बना है???
नहीं ना !!

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जानते हैं क्यों?
क्योंकि कि गीता ही नही, हमारे वेद,पुराण,रामायण जैसे अनेक पवित्र ग्रन्थ हमें इंसान बनाते है,हमे धर्म और अधर्म का भेद बताते है,हमारे कर्तव्यों का बोध कराते है………….न कि दूसरों की तरह आतंकी बना कर वैचारिक रूप से शून्य तथा मानव से दानव बनाते है…!

………………जब महमूद गजनवी सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करने आया था तब भोले के भक्तों ने बजाय उससे लड़ने के,महादेव के प्रकट होकर उनसे गजनी जैसे म्लेच्छो के संहार की अपेक्षा कर रहे थे और कुछ लोगों ने तो समर्पण मुद्रा मे गजनवी से कहा था कि सुल्तान हम सोमनाथ के बराबर सोना देंगे आप न मंदिर तोड़ो,न लूटो!!

तब गजनी ने कहा कि मैं आया हूं तो सब कुछ लूटूगां ही लेकिन मंदिर इसलिये तोड़ूंगा क्योंकि मुझे तो तुम हिंदुओं की आस्था को तोड़ना है…..मैं तुम्हारी आत्मा पर चोट करने आया हूँ…..और चोट करके गया…!!

आज भी तो वही हो रहा है….अंतर केवल इतना है तब गजनवी और उसकी सेना सामने से दिख रही थी लेकिन आज के गजनियों का साथ देने वाले जाने कितने टूलकिट धारी नेता हमारे देश के कोने कोने मे छिपे हैं और रह रह कर हमारी आस्था पर चोट करके हमारी आत्मा को लहुलुहान कर रहे हैं………………..सेकुलर,लिबरल,अर्बन नक्सली,वामी,कांगी,आपिये भी उसी गजनवी मानसिकता के ही छिपे हुये जेहादी सैनिक हैं!!!

फिलहाल देश मे दो विपरीत सभ्यताओं और विचारधारा का जो संघर्ष अभी तक मौखिक रूप से होता चला आ रहा था….वो अब धीरे धीरे वो सड़को पर उतर चुका है………..बीच की रेखा दिन प्रतिदिन गाढ़ी होती जा रही है…..और उस पार खड़े बच्चे तक को जेहाद और अलतकिया वाली पूरी आयत याद है,लेकिन इस तरफ वाले अहिंसा परमो धर्म: की अधूरी लाइन का दे रट्टे पर रट्टा मार रहे हैं…..खैर बताने का क्या लाभ,आदत से विवश हूं इसलिये बताऊंगा कि खुल कर सामना करिये क्योंकि तटस्थ रहने वाला ही पहला शिकार होगा…..मजबूरी मे ही सही लेकिन देश औ धर्म के साथ अपना भविष्य बचाने के लिये प्रत्येक हिन्नू को आसन्न संघर्ष मे उतरना ही पड़ेगा….आज नही तो कल….कल नही तो परसों….यह होना ही है क्योंकि नियति ने यही निश्चित किया है…अब यह आपके ऊपर निर्भर है कि आप रणछोड़ की भूमिका निभाना चाहते हैं…या फिर रणजीत की….!!

#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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