Positive India:Satish Chandra Mishra;12 February 2021:
यूपीए के शासनकाल में अरबपति उद्योगपति रूइय्या ब्रदर्स के शशि रवि रूइय्या की संपत्ति 2004 में केवल 1 हज़ार 7 करोड़ रू थी, वो 2014 में बढ़कर 34 हज़ार 220 करोड़ हो गयी थी। अर्थात 10 वर्ष में उनकी सम्पत्ति में 34 गुना वृद्धि हुई थीं। 2014 में भारत के रईसों की Forbes सूची में रूइय्या ब्रदर्स के शशि रवि रूइय्या का सोलहवां स्थान था।
लेकिन इन रुइय्या बंधुओं पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के 6 वर्ष के शासनकाल में इतनी जबरदस्त सरकारी कृपा बरसी की 2020 तक इनकी सम्पत्ति बढ़ने के बजाय 18 हज़ार करोड़ घटकर 16060 करोड़ हो गयी। 2020 में भारत के रईसों की Forbes सूची में रूइय्या ब्रदर्स के शशि रवि रूइय्या 67वें स्थान पर पहुंच गए।
इन 6 वर्षों के दौरान नरेन्द्र मोदी की सरकार इनपर इतनी मेहरबान हुई, इनके साथ इतनी नरमी से पेश आयी कि यूपीए सरकार द्वारा इनकी कम्पनी एस्सार को दिया गया हज़ारों करोड़ रुपये का कर्ज़ जो लगातार बढ़ते गए ब्याज पर ब्याज के कारण बढ़कर 54000 करोड़ से अधिक का NPA कर्ज़ बन चुका था। उस कर्ज की वसूली के लिए मोदी सरकार ने कम्पनी की नीलामी करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी। परिणामस्वरूप रुइय्या बन्धु 54000 करोड़ से अधिक के कर्ज की वह रकम तुरन्त चुकाने के लिए यह कहकर नीलामी टालने के लिए सरकार का दरवाजा खटखटाने लगे थे कि नीलामी मत करो। लेकिन मोदी सरकार उनके उस हथकंडे से टस से मस नहीं हुई औऱ दिसम्बर 2020 में 42000 करोड़ रूपये में आर्सेलर मित्तल ने एस्सार का अधिग्रहण कर लिया।
अब खुद तय करिये कि उद्योगपतियों की यार मोदी सरकार है… या मनमोहन सिंह सरकार थी.?
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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