Positive India:Vishal Jha:
मोदी जी के कूटनीति का पैटर्न बताता है कि पीओके की वापसी जब भी होगी, बिना जंग के होगी। कश्मीर की घर वापसी, खालिस्तान की इस बार घर वापसी, बिना एक सिंगल कैजुअल्टी के हो गई। खून का एक कतरा भी कहीं नहीं गिरा। ठीक उसी प्रकार पीओके भी बिना सिंगल कैजुअल्टी के होगा। पीओके की जनता तो पहले से ही जुड़ने को राजी है। बस पीओके के मजहबी समुदाय के संक्रमण से सुरक्षा के लिए सरकार को पुख्ता इंतजाम करना होगा।
भारत की मोदी डिप्लोमेसी का मतलब हुआ कि पाकिस्तान थाल में सजाकर पीओके भारत को सौंप दे। मोदी जी की कूटनीति से पाकिस्तान को इतना मजबूर तो किया ही जा सकता है। तमाम ऐसे भारत-पाकिस्तान के बीच मुद्दे हैं, जिसमें यह सौदा बड़ी सुविधा से सुलझाया जा सकता है। जंग नहीं करना पड़े, शांति की स्थापना हो, नए भारत की डिप्लोमेसी का यही मतलब है।
फिर यदि भारत से अप्रत्यक्ष जंग के लिए पाकिस्तान की पीठ पर चाइना खड़ा हो अथवा अमेरिका, क्या ही फर्क पड़ता है। हर जंग हथियार से नहीं जीते जाते। हां इतना अवश्य है कि हथियार से जीती हुई जंग कूटनीति के अभाव में अवश्य हारी जा सकती है। इंदिरा गांधी ने उदाहरण स्थापित किया हुआ है। भारत विश्व गुरु बनेगा इस बात का परिहास कभी-कभी वे भी करते हैं, जो वामपंथी नहीं हैं। लेकिन नए भारत की डिप्लोमेसी भारत के विश्व गुरु होने को अवश्य चित्रित करेगा।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)