भारत में बसे तालिबानों पर हमारी चुप्पी कब टूटेगी ?
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
भारत में बसे तालिबानों पर हमारी चुप्पी अब तो टूटनी चाहिए। अभी जो यह चुप्पी नहीं टूटी तो एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा और जल्दी ही आएगा जब हम भी अफगानिस्तान में तब्दील हो जाएंगे। और अफगानिस्तान का दर्द , उस का नरक और उस की हिंसा हमारा जीवन बन जाएगा। फिर दुनिया टुकुर-टुकुर ताकती रह जाएगी। जिन को भारत में बसे तालिबान नहीं दीखते वह आंख और दिमाग के अंधे लोग हैं। बताइए कि अफगानिस्तान में एयरपोर्ट पर भी बस अड्डा बन गया है। एयरपोर्ट की हवाई पट्टी पर भगदड़ है। लोग जहाज में ऐसे चढ़ रहे हैं गोया किसी बस या ट्रेन में चढ़ रहे हों। एयरपोर्ट पर गोलियां चल रही है। लोग कत्ल हो रहे हैं , एयरपोर्ट पर भी।
शहर के शहर ख़ाली हो रहे हैं। समूचा अफगानिस्तान सड़कों पर है , अफगानिस्तान से भाग जाने के लिए। वहां के राष्ट्रपति समेत सारे मंत्री भाग चुके हैं। औरतें अजब दहशत में हैं। तो सेक्यूलर हिप्पोक्रेटों से पूछा जाना चाहिए कि यह सब क्या आर एस एस और भाजपा के लोग करवा रहे हैं ? मोदी और योगी की कारस्तानी है ? जी नहीं , नापाक़ इस्लामी शिक्षा और उस की नसीहतें हैं। उस के कबीलाई मंसूबे और संस्कार हैं। अब भी समय है , भारत में बसे तालिबानों की नकेल क़ायदे से कस दी जानी चाहिए। जैसे चीन इन्हें कुचल रहा है , भारत में भी समय रहते इन्हें कुचल दिया जाना चाहिए। बाक़ी तौबा-तौबा तो हमारे पास है ही।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)