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जब डिम्पल यादव को भी नहीं छोड़ा सपाइयों ने

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
इस चुनाव में अकसर लोगों ने एक सवाल उठाया कि अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव चुनाव प्रचार में क्यों नहीं हैं ? बीते लोकसभा चुनाव के प्रचार में जनसभा के एक मंच पर सपा कार्यकर्ताओं ने डिम्पल यादव के साथ पीछे से लगातार गज़ब की छेड़छाड़ की थी। इतना कि माइक पर यह बात डिम्पल ने इस छेड़छाड़ का विरोध करते हुए कहा था कि अगर इस मंच पर आप के भइया अखिलेश यादव भी होते तो क्या आप मेरे साथ यही छेड़छाड़ करते ? यह कह कर वह मंच से उतर गई थीं। फिर इस बार डिम्पल यादव चुनाव प्रचार से दूर रहीं।

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हालां कि अपवाद स्वरुप लखनऊ में अभिषेक मिश्र के प्रचार में वह दिखीं। लेकिन उन के आस-पास सपाइयों की भीड़ नहीं थी। सपाइयों की अराजकता के कई फ्रंट इस बार के चुनाव में लगातार सामने आते जा रहे हैं। पहले यह सपाई पुलिस को सिर्फ़ जुबानी धमकी देते थे। कहते थे सरकार आने दो , देख लेंगे। अब पुलिस वालों को पीटने भी लगे हैं। और तो और हत्यारे मुख़्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने तो कल मऊ की एक जनसभा में कहा कि वह अखिलेश भैया से कह आए हैं कि सरकार बनने के बाद कम से कम 6 महीने तक अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं करें।

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क्यों कि पहले यहां उन का हिसाब-किताब होगा। हालां कि इस भाषण को ले कर प्रशासन ने अब्बास के ख़िलाफ़ एफ़ आई आर दर्ज कर दिया है। लेकिन सपा की गुंडई और अराजकता का उफान लगातार दिखाई दे रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य का भी एक भाषण सामने आया है जिस में वह सरकार बनने के बाद अधिकारियों -कर्मचारियों को छठी का दूध याद दिलाने की बात कर रहे हैं। अखिलेश यादव ख़ुद कहते रहते हैं कि एक-एक अधिकारी और पत्रकार का नाम नोट करता जा रहा हूं। भरी चुनावी जनसभा में वह ऐ पुलिस , ऐ पुलिस कह कर पुलिस को धमकाते देखे गए हैं। दंगेश का ख़िताब अखिलेश को मिल ही चुका है। बौखलेश वह बन ही गए हैं। अजीत सिंह कहते ही थे कि जिस गाड़ी पर सपा का झंडा , उस गाड़ी में गुंडा। वह तो कहिए कि सपा की सरकार किसी सूरत बनती नहीं दिख रही लेकिन उन के जंगल राज की चाहत तो देखिए। दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल याद आती है :

होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये

गूंगे निकल पड़े हैं, ज़ुबां की तलाश में
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिये

बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन
सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिये

उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें
चाकू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिये

जिसने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ
इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिये

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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