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औरंगज़ेब ने जब मंदिर तोड़ा था तब बहुत सारे वाइरस सुबूत के तौर पर छोड़ दिए

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:राजकमल गोस्वामी:
वाइरस जड़ और चेतन की बीच की एक कड़ी है । वर्षों निष्क्रिय पड़े रहने के बाद भी वाइरस अनुकूल वातावरण पा कर पुनः सक्रिय हो जाता है । वैरीसेला वाइरस समय आने पर अत्यंत कष्टकारी हर्पीज़ ज़ोस्टर उत्पन्न करता है जो बहुत अधिक तकलीफ़ देता है ।

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जब औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़ा था तब बहुत सारे वाइरस सुबूत के तौर पर छोड़ दिए गए । मुसलमानों का राज भी समाप्त हो गया । पाकिस्तान बनते समय मौलाना आज़ाद ने बड़ी गुहार लगाई कि यह जामा मस्जिद ये लाल क़िला सब किसके सहारे छोड़ जा रहे हो मगर मुसलमानों ने एक न सुनी और मुल्क तकसीम करके पाकिस्तान बना लिया ।

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फिर भी हिंदू अपने परम सहिष्णु धर्म पर टिके रहे और इस्लामी मस्जिद और मक़बरों को हाथ न लगाया । पांडवों की तरह उन्होंने पाँच गाँव की जगह सिर्फ़ तीन मंदिर माँगे थे । मुसलमानों में बड़ी एकता है मगर छीनने के लिए जिहाद करने के लिए सब एक हैं । मंदिर छोड़ने की औक़ात किसी की नहीं है ।

काशी विश्वनाथ मंदिर भग्न करते समय जो सबूत छोड़े गए जैसे पुराने मंदिर की दीवार पर ही गुंबद खड़ा कर देना, नंदी की मूर्ति अक्षुण्ण रहना और ज्ञानवापी में भग्न मंदिर के अवशेष और अब वजू करने की हौज़ में साक्षात् शिवलिंग , ये सब मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पर्याप्त हैं । अब वाइरस पूरी ताक़त से लौट आया है ।

भगवान शंकर अक्सर लंबी समाधि पर चले जाते हैं। इस बीच देश दुनिया में क्या होता है इसकी ख़बर उनके प्रधान गण नंदी महाराज लेते रहते हैं । भक्त लोग दर्शन पूजा तो शिवजी की करते हैं पर अपनी मनोकामना नंदी जी के कान में बता कर चले आते हैं । शंकर जी की समाधि अब टूट चुकी है । देखिए क्या होता है !
काशी तो शंकर जी के त्रिशूल पर टिकी है ।

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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